विश्व के सबसे लोकप्रिय धार्मिक पाठ, हनुमान चालीसा में एक पंक्ति आती है "शङ्कर सुवन केसरी नन्दन। तेज प्रताप महा जग वन्दन॥" जिज्ञासा का विषय है कि, यहां केसरी नंदन से तात्पर्य केसरी के पुत्र है लेकिन शङ्कर सुवन में सुवन से क्या तात्पर्य है।
हनुमान को शङ्कर सुवन क्यों पुकारते हैं
आचार्य विष्णुकांत शास्त्री बताते हैं कि, सुवन शब्द का जन्म सुमन शब्द से हुआ है। सुमन का तात्पर्य होता है पुष्प। यानी पौधे का एक ऐसा भाग जो पौधे की पहचान होते हैं और उसमें पौधे के सभी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा उसके अंदर एक बीज होता है जिससे एक नया पौधा जन्म ले सकता है। शास्त्रों में श्रीराम भक्त हनुमान को भगवान शिव का अंशावतार (अंश अवतार) बताया गया है। ऐसी स्थिति में हनुमान को शङ्कर सुवन से बेहतर कुछ और पुकारा ही नहीं जा सकता था।
हिंदी भाषा में सुवन का अर्थ क्या होता है
आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने हमें समझाया कि हिंदी भाषा में सुवन का अर्थ होता है, किसी के सभी गुणों के साथ उसका अंश होना। यहां ध्यान देना होगा कि, पुत्र और अंश में अंतर होता है। पुत्र का अपना परिचय होता है और उसके अपने गुण दोष भी हो सकते हैं। जब तक माता के गर्भ में होता है तब तक अंश होता है लेकिन जन्म के बाद संतान होता है। जबकि अंश के गुण और दोष अपने मूल भाग के समान अथवा पूर्व निर्धारित होते हैं और उन्हें परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
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