भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अयोध्या बायपास स्थित एक निजी स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। कलेक्टर के आदेश के उल्लंघन की शिकायत मिलने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल का निरीक्षण किया और छोला थाने में केस दर्ज कराया।
दरअसल कुछ पेरेंट्स की तरफ से स्कूल शिक्षा विभाग को शिकायत मिली थी कि स्कूल मैनेजमेंट एक ही दुकान से यूनिफाॅर्म और किताबें खरीदने का दबाव बना रहा है। ऐसा नहीं करने पर बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं देने की धमकी दी जा रही है। शिकायत मिलने पर मंगलवार को जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना टीम के साथ स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे। जांच में सामने आया कि शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से पहले व वर्तमान में भी लेखक व प्रकाशक के नाम और मूल्य के साथ कक्षावार किताबों की सूची नोटिस बोर्ड पर नहीं लगाई गई थी। साथ ही बच्चों और पेरेंट्स के मांगने पर भी वह सूची उपलब्ध नहीं करवाई गई, ताकि पेरेंट्स उन बुक्स को सुविधा के अनुसार खुले बाजार से खरीद सकें।
प्राचार्य ने स्कूल में हर क्लास में लगने वाली बुक्स और पब्लिशर्स की जानकारी भी वेबसाइट पर नहीं लगाई, साथ ही email id deobho-mp@nic. in पर भी नहीं भेजी। स्कूल की बुक्स व यूनिफाॅर्म सिर्फ एक दुकान अरुणा सेल जेके रोड पर ही मिल रही है। अन्य कहीं से भी बुक्स व यूनिफाॅर्म नहीं खरीदी जा सकतीं। इसके बाद डीईओ ने छोला थाने में शिकायत की। यहां स्कूल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
कलेक्टर आशीष सिंह ने सोमवार को प्राइवेट स्कूल संचालकों, पब्लिशर्स और किताब विक्रेताओं के एकाधिकार को खत्म करने के लिए धारा144 के तहत आदेश जारी किए थे। अब प्राइवेट स्कूलों के संचालक स्टूडेंट्स या पेरेंट्स को निर्धारित दुकानों से ही यूनिफाॅर्म, जूते, टाई, किताबें, काॅपियां आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। न ही किताबों के सेट खरीदने के लिए बाध्य किया जा सकेगा।
कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा था। कलेक्टर ने ऐसे स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसडीएम और डीईओ को निर्देश दिए थे। यदि किसी स्कूल या संस्थान के विरुद्ध शिकायत मिलती है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी कहा था।
हालांकि, 3 अप्रैल से सभी स्कूल खुल चुके हैं। ऐसे में अधिकांश पेरेंट्स यूनिफाॅर्म और किताबें पहले ही खरीद चुके हैं। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने उन्हें एक ही दुकान से यूनिफाॅर्म और किताबें खरीदने को मजबूर किया। पेरेंट्स का कहना है कि यदि आदेश पहले निकला होता, तो स्कूल संचालकों की मनमानी नहीं चलती।
वर्तमान में पेरेंट्स महंगी यूनिफाॅर्म और किताबें खरीदने को मजबूर हैं। इस कारण पुस्तक विक्रेता मुंहमांगी कीमत वसूल रहे हैं। पहली से आठवीं तक की किताबों के सेट 2500 से 6 हजार रुपए तक मिल रहे हैं। यदि पेरेंट्स दूसरी दुकानों पर जाते हैं, तो वहां कोर्स नहीं मिलता। ऐसा ही यूनिफाॅर्म को लेकर भी है। स्कूल का लोगे लगी यूनिफाॅर्म निर्धारित दुकानों से ही मिल रही है। ऐसे में कक्षा छह से आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों की शर्ट-पेंट ही एक हजार रुपए या इससे ज्यादा में मिल रही है। बेल्ट, टाई भी पेरेंट्स मनमाने दाम पर खरीदने को मजबूर हैं।