BHOPAL NEWS- सरकारी सांची दूध में भर्ती घोटाला, एकदम नया तरीका, इस तरह का पहला मामला

Madhya Pradesh news- bhopal cooperative milk union recruitment scam 

मध्य प्रदेश की सरकारी संस्था भोपाल सहकारी दुग्ध संघ में एकदम नए तरीके का भर्ती घोटाला सामने आया है। यह घोटाला इतना यूनिक और इनोवेटिव था कि शिकायतकर्ता को इसे साबित करने और पुलिस अधिकारियों को समझने में 6 साल लग गए। अब जाकर एमपी नगर पुलिस थाने में मैनेजर और ग्रेड 3 कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। 

व्यापम की एलिजिबिलिटी लिस्ट की वैलिडिटी खत्म हो जाने के बाद नियुक्ति दी

प्रतियोगी परीक्षाएं देने वाले उम्मीदवार विशेष तौर पर व्यापम यानी व्यवसायिक परीक्षा मंडल उर्फ प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड उर्फ कर्मचारी चयन मंडल के उम्मीदवार बड़ी आसानी से समझ जाएंगे लेकिन एमपी नगर पुलिस के अधिकारियों को समझने में 6 साल लगे। मामले के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर ऑफिसर श्री आरके मिश्रा सब इंस्पेक्टर ने बताया कि इस मामले की शिकायत जबलपुर के रहने वाले श्री विजय पांडे उम्र 65 वर्ष ने की है। एमपी नगर पुलिस थाने में नियुक्ति की अनुशंसा करने वाली मैनेजर सुश्री शारदा जोहरी और क्रेतीन के कर्मचारी श्री जयश्री गणेशन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

सन 2016 में अपनी शिकायत में उन्होंने बताया था कि मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा मैनेजर, ग्रेड 1 एवं ग्रेड 3 के पदों पर भर्ती के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था। नियमानुसार परीक्षा का आयोजन हुआ और व्यापम द्वारा एलिजिबल कैंडिडेट की लिस्ट एमपी स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन को सौंप दी गई। नियमानुसार फेडरेशन को मेरिट के आधार पर नियुक्ति देनी थी परंतु फेडरेशन ने किसी भी कैंडिडेट की नियुक्ति नहीं की। निर्धारित 18 महीने के बाद दिनांक 13 जनवरी 2018 एलिजिबिलिटी लिस्ट की वैलिडिटी खत्म हो गई। 
इसके बाद एलिजिबिलिटी लिस्ट में नंबर 4 पर दर्ज श्री पंकज पांडे को 22 सितंबर 2018 को नियुक्ति दे दी गई। 

घोटाला कैसे हुआ सरल हिंदी में समझिए

  • एलिजिबिलिटी एक्सपायर होने की तारीख - 13 जनवरी 2018 
  • कैंडिडेट की नियुक्ति की तारीख - 22 सितंबर 2018 
  • लिस्ट की वैलिडिटी खत्म होने और नियुक्ति के बीच का अंतर- 7 महीने। 
  • जब एक बार किसी एलिजिबिलिटी लिस्ट की वैलिडिटी खत्म हो जाती है तो उसके कैंडीडेट्स सरकार के प्रति अपनी भड़ास निकालते हैं और फिर अगली भर्ती परीक्षा की तैयारी में लग जाते हैं। कम से कम 7 महीने बाद कोई नहीं देखता कि हमारी लिस्ट का क्या हुआ है क्योंकि लिस्ट की वैलिडिटी खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि नंबर चार पर मौजूद श्री पंकज पांडे को नियुक्त कर दिया जाता है तो इस बात की पूरी संभावना थी कि कोई आपत्ति नहीं करेगा क्योंकि किसी को पता ही नहीं चलेगा। 
यह तो एक मामला है जो एक शिकायतकर्ता के कारण पकड़ा गया। अब इस तरह के सभी मामलों की छानबीन के लिए STF की जरूरत है। पता नहीं मध्यप्रदेश के कितने विभागों में इस प्रकार लिफ्ट की वैलिडिटी खत्म हो जाने के बाद नंबर 4 या नंबर 40 वाले कैंडिडेट को नियुक्ति दी गई होगी, क्योंकि सभी घोषित पदों पर निर्धारित टाइम टेबल के अनुसार नियुक्ति मध्यप्रदेश में कमी नहीं होती।

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