यूनियन ऑफ़ इंडिया एवं अन्य बनाम सरन नार्जरी मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि, जांच अधिकारी के निष्कर्ष के आधार पर किसी कर्मचारी को बर्खास्त नहीं कर सकते। सेवा समाप्ति जैसे गंभीर दंड का निर्धारण करने से पहले यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी होता है कि जांच रिपोर्ट ठोस साक्ष्य पर आधारित हो। मामला सीआरपीएफ के एक कर्मचारी को बर्खास्त करने का है। भारत सरकार ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के खिलाफ डबल बेंच में अपील की थी।
सरन नार्जरी के मामले का संक्षिप्त विवरण
गुवाहाटी हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश चीफ जस्टिस संदीप मेहता एवं जस्टिस पार्थिव ज्योति सैकिया की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिका का निराकरण किया। याचिकाकर्ता क्रमांक 2,3 एवं 4- डायरेक्टर जनरल सीआरपीएफ, डीआईजी-पी सीआरपीएफ और कमांडेंट की ओर से बताया गया कि प्रतिवादी कर्मचारी सरन नार्जरी 15 दिन का आकस्मिक अवकाश लेकर निकला था। दिनांक 6 जून 2008 को जम्मू रेलवे स्टेशन पर 5.56 इंसास राइफल और 23 जिंदा कारतूस के साथ लोकल पुलिस द्वारा पकड़ा गया। विभागीय जांच में जांच अधिकारी द्वारा बताया गया कि, आरोपित कर्मचारी द्वारा अपने अधिकारियों की अनुमति और जानकारी के बिना जिंदा कारतूस अपने पास संग्रहित कर रखें थे। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपित कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया था।
बर्खास्त कर्मचारी ने अपने टर्मिनेशन आर्डर के खिलाफ गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। केस के ट्रायल के दौरान सिंगल बेंच ने पाया कि, बर्खास्त किए गए कर्मचारी को हिंदी भाषा ठीक प्रकार से नहीं आती जबकि उसका बयान हिंदी में दर्ज किया गया। जांच रिपोर्ट में ना तो कोई FIR संलग्न की गई है और ना ही ऐसा कोई गवर्मेंट डॉक्यूमेंट जो यह प्रमाणित करता होगी बर्खास्त कर्मचारी के पास से जिंदा कारतूस बरामद हुए थे। यहां तक की ऐसा कोई डॉक्यूमेंट भी जांच रिपोर्ट में नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि बरामद किए गए जिंदा कारतूस सीआरपीएफ ने वापस अपने कब्जे में ले लिए हैं। जिन गवाहों के बयान दर्ज हैं उनमें से कोई भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। सिर्फ आरोपित कर्मचारी का बयान जो कि हिंदी भाषा में दर्ज है, के आधार पर जांच रिपोर्ट तैयार की गई और जांच रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने दिनांक 18 जनवरी 2018 को उस आदेश को निरस्त कर दिया था जिसके तहत कर्मचारी को बर्खास्त किया गया था। सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ यूनियन ऑफ इंडिया और सीआरपीएफ ने डबल बेंच में अपील की थी। अब डबल बेंच ने भी सिंगल बेंच के आदेश को सही मानते हुए याचिका का निराकरण कर दिया है।
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