CrPC 322- Online free legal advice
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 322 कहती है कि अगर किसी मजिस्ट्रेट को विचारण या जाँच से पहले लगता है की मामला अन्य अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जाना है तब मजिस्ट्रेट मामले को उसी मजिस्ट्रेट को भेज देगा जिस मजिस्ट्रेट के द्वारा उसका विचारण या जाँच की जानी हैं।
लेकिन बहुत से मामले ऐसे होते हैं की किसी सामान्य मारपीट के आरोपी का मामला द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा रहा है और जाँच या विचारण भी पूरा कर लिया गया है निर्णय से पूर्व मजिस्ट्रेट को ऐसे साक्ष्य मिल जाते हैं जो घोर उपहति (गंभीर चोट) से संबंधित मामला है तब निर्णय सुनाने का अधिकार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को है ऐसे में द्वितीय श्रेणी का मजिस्ट्रेट मामले को किस कानून के अंतर्गत सुपुर्द करेगा जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 323 की परिभाषा
यदि किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष किसी अपराध की जाँच या विचारण पूरा कर लिया जाता है और निर्णय पर हस्ताक्षर करने से पूर्व किसी प्रक्रम में उसे यह प्रतीत होता है कि ऐसा मामला जिसका विचारण सेशन न्यायालय या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाना है तब वह उस मामले को संबंधित अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को सौंप देगा।
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