Motivational Story in Hindi of Garima Singh IAS Jharkhand cader in Hindi
गरिमा सिंह, एक ऐसी लड़की का नाम है जिस पर ना केवल बलिया उत्तर प्रदेश के इंजीनियर ओंकार सिंह और उनका परिवार गर्व करता है बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश उसे अपनी लाडली बेटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी उसे अपनी प्रतिभाशाली छात्र बुलाती है। हो भी क्यों ना, भगवान ने गरिमा को जो कुछ भी दिया, गरिमा ने उसे 100X कर दिया। यदि गरिमा के बारे में 3 शब्दों में कुछ कहना हो तो सिर्फ यही कहा जा सकता है "ब्यूटी विद ब्रिलिएंट माइंड"।
वह डॉक्टर बनना चाहती थी, लोग एक्टर बनाना चाहते थे लेकिन पापा के लिए कलेक्टर बनेगी
उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मी गरिमा सिंह बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थी। इतनी खूबसूरत थी कि हर कोई उसे कहता था बड़े होकर एक्टर बनेगी, लेकिन गरिमा के पापा चाहते थे उनकी बेटी कलेक्टर बने। अपना सपना पूरा करने की कोशिश तो आजकल हर स्टूडेंट करता है और पेरेंट्स भी उसे सपोर्ट करते हैं परंतु गरिमा ने पापा का सपना पूरा करने का फैसला किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन किया और UPSC की तैयारी शुरू कर दी।
Motivational Story for Students in Hindi
गरिमा सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कोई कोचिंग नहीं करी थी। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के चक्कर भी नहीं लगाए थे। बस पढ़ाई की और साल 2012 में UPSC की परीक्षा पास कर ली लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा के बजाय भारतीय पुलिस सेवा का मौका मिला। ब्यूटी विद ब्रिलिएंट माइंड, जिंदगी के हर कदम पर सफलता मिल रही थी लेकिन ओवरकॉन्फिडेंस नहीं आने दिया। बतौर IPS उत्तर प्रदेश के अंदर ज्वाइन किया। झांसी में एसपी सिटी के पद पर काम किया। बलिया में ढोल बज गए थे लेकिन गरिमा को पापा का सपना पूरा करना था। चोर उचक्कों के पीछे भागते दौड़ते UPSC की पढ़ाई भी करती रही, और दूसरी बात 55th रैंक पर गरिमा सिंह का नाम था।
Short Motivational Story in Hindi for Success
अब गरिमा सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी है। उन्होंने झारखंड कैडर चुना है। गरिमा के काम की झारखंड में काफी प्रशंसा की जाती है। जल्द ही बलिया वाले इंजीनियर ओंकार सिंह की लाडली बेटी झारखंड में कलेक्टर बनेगी।
Moral of the Story
- लाइफ में बिल्कुल जरूरी नहीं है कि जिस काम में आपको मजा आता हो केवल उसी में आप सफलता के शिखर तक पहुंच पाएंगे और यदि वह करने का मौका नहीं मिला तो फिर जिंदगी किसी काम की नहीं रह जाएगी।
- लाइफ में यह भी जरूरी नहीं है कि आपने यह आपके फ्रेंड्स और फैमिली में ज्यादातर लोगों ने आपके कैरियर के बारे में जो प्रिडिक्ट किया है, वही सही हो। कई बार एक अकेला व्यक्ति सही होता है क्योंकि वह एक्सपीरियंस भी होता है।
- और सबसे इंपोर्टेंट बात की बहुत जरूरी नहीं है कि हर बार बच्चों का सपना पूरा करने के लिए पेरेंट्स सपोर्ट करें। कभी-कभी पेरेंट्स और बच्चों को मिलकर एक सपना देखना चाहिए क्योंकि कभी-कभी पेरेंट्स को पता होता है कि उनके बच्चे में कितना पोटेंशियल है।
गरिमा ने अपने पापा के सपने को अपना बनाया। पापा ने उसे पढ़ाने में कोई कमी नहीं की तो गरिमा ने भी पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी और आज भारत की सबसे कठिन परीक्षा पास करने के बाद झारखंड में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का काम कर रही है।