मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, कमिश्नर डीपीआई एवं कमिश्नर ट्राइबल डिपार्टमेंट को नोटिस जारी करके सवाल किया है कि माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में जिन उम्मीदवारों ने स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित विद्यालयों में नियुक्ति मांगी थी, उन्हें उनकी मर्जी, जानकारी और सहमति के बिना जनजातीय कार्य विभाग के स्कूल में नियुक्त क्यों किया गया।
मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया 2018 संचालित की गई। इसमें स्कूल शिक्षा एवं जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों के लिए एक साथ शिक्षकों की भर्ती की गई। लोक शिक्षण संचालनालय, मध्य प्रदेश को नोडल एजेंसी बनाया गया था। एवं श्री अभय वर्मा आईएएस, आयुक्त के पद पर पदस्थ थे। ग्वालियर हाईकोर्ट को याचिकाकर्ता श्री सतीश वस्ती एवं श्री राहुल पाठक ने अपने अधिवक्ता श्री सूरज सखवार के माध्यम से बताया कि, शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान दोनों विभागों के लिए संयुक्त रूप से परीक्षा का आयोजन किया गया था लेकिन नियुक्ति से पहले उम्मीदवारों को Choice Filling की सुविधा दी गई थी।
अधिवक्ता श्री सूरज सखवार ने WP 9077/2023 प्रस्तुत करते हुए दलील दी कि, नियमानुसार मेरिट के आधार पर उम्मीदवारों को उनकी पसंद के स्कूल में पोस्टिंग दी जानी चाहिए थी परंतु नोडल एजेंसी मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय ने Choice Filling के विपरीत याचिकाकर्ताओं जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में नियुक्ति दे दी। यानी उम्मीदवारों को पसंद का विद्यालय नहीं दिया और पसंद का डिपार्टमेंट भी नहीं दिया।
अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए विद्वान न्यायाधीश श्री मिलिंद रमेश द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, कमिश्नर डीपीआई एवं कमिश्नर ट्राइबल डिपार्टमेंट को नोटिस जारी करके 4 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।
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