मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कलेक्टर की जमकर क्लास लगा डाली। मामला एक ऐसे व्यापारी के पेमेंट का है जिसने कोरोना कॉल में लॉकडाउन के समय कलेक्टर के एक आदेश पर खाने के पैकेट उपलब्ध कराए।
MP NEWS- कलेक्टर ने खाने के पैकेट मंगवा लिए लेकिन पैसे नहीं दिए
याचिकाकर्ता व्यापारी ने हाई कोर्ट को बताया कि कोरोनावायरस संकट काल के दौरान कलेक्टर ने खाने के पैकेट की मांग की। कहा कि ₹30 प्रति पैकेट की दर से भुगतान करेंगे। उनकी एक आवाज पर, जब जितनी डिमांड आई तब उतनी सप्लाई की गई। शिकायत का कोई मौका नहीं दिया गया। लॉकडाउन खुल जाने के बाद कलेक्टर ने कहा कि ₹30 नहीं ₹15 प्रति पैकेट की दर से भुगतान करेंगे। इसके बाद भी 8.19 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया।
इस मामले में हाईकोर्ट ने 2 साल पहले कलेक्टर से जवाब मांगा था परंतु कलेक्टर ने हाईकोर्ट को भी जवाब नहीं दिया। 2 साल बाद ई-मेल के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि याचिका लगाने वाला दुकानदार किसी भी प्रकार के भुगतान का अधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट ने जब पूछा कि खाने के पैकेट सप्लाई किए गए हैं और रिसीव भी किए गए हैं तो बताया गया कि फिलहाल फंड नहीं है। जब आएगा तब पेमेंट कर देंगे। इस बात पर हाईकोर्ट ने कलेक्टर की क्लास लगा डाली।
हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार के पास 8 लाख रुपए भी नहीं है और यदि पेमेंट करने के लिए फंड नहीं है तो फिर लोगों से काम भी नहीं करवाना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली तारीख पर फूड एंड सिविल सप्लाईज डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी और रिलीफ कमिश्नर को भी तलब कर लिया है।
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