Indian Penal Code section 420 in Hindi
भारतीय समाज में आईपीसी की धारा 420 एकमात्र ऐसी धारा है जिसका ज़िक्र सबसे ज्यादा किया जाता है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि सभी प्रकार के छल अथवा विश्वासघात आईपीसी की धारा 420 के तहत अपराध होते हैं परंतु ऐसा नहीं है। साधारण छल आईपीसी की धारा 417 के तहत अपराध माने जाते हैं। आइए जानते हैं कि धारा 420 के तहत किस प्रकार के अपराधों को दर्ज किया जाता है।
उच्चतम न्यायालय ने दिलीप कौर बनाम जगनार सिंह मामले में 420 अर्थात छल के अपराध के निम्न कारण बताए हैं:-
1. किसी व्यक्ति को धोखा देना या किसी कार्य को उस व्यक्ति से छुपा लेना या लोप कर देना लेना जिसकी जानकारी न मिलने से उसे हानि हो सकती है।
2.किसी व्यक्ति की संपत्ति बेईमानी, धोखे या जालसाजी से बेचना, खरीदना, ट्रांसफर करवाना, बदल देना (यहाँ संपत्ति से तात्पर्य किसी मूलभूत दस्तावेज भी हो सकता है जिसे कि प्रवेश पत्र, प्रमाण पत्र, चेक आदि)
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति से इस प्रकार के छल करता है तब वह भारतीय दंड संहिता की धारा 420 का दोषी होगा।
IPC section 420- Arrest, Bail, Punishment, Settlement
भारतीय दंड संहिता 1807 की धारा 420 का अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होता है अर्थात पुलिस थाना अधिकारी ऐसे अपराध की तुरंत एफआईआर (CrPC धारा 154 के निर्देशानुसार) दर्ज करेगा। जमानत के लिए आरोपी स्वयं प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित हो सकता है अथवा पुलिस उसे गिरफ्तार करके न्यायालय के सामने पेश कर सकती है। अपराध गंभीर होने की स्थिति में जेल भेजा जा सकता है अथवा जांच प्रक्रिया के लिए पुलिस को रिमांड पर सौंपा जा सकता है। इस अपराध की सुनवाई किसी प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। अपराध के लिए अधिकतम सात की कारावास एवं जुर्माना, दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
IPC 420 in Hindi bailable or not
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार छल करने का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर अर्थात न्यायालय की मंजूरी के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति के साथ छल किया गया है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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