भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहाँ जनता के प्रतिनिधियों द्वारा शासन किया जाता है। भारत का प्रथम नागरिक होता है भारत का राष्ट्रपति, एवं राज्य का राज्यपाल इसी प्रकार बात करें तो देश का वास्तविक कार्यपालिका एवं विधायिका का प्रमुख प्रधानमंत्री एवं केबिनेट मंत्री को माना जाता है इसी प्रकार राज्यों में मुख्यमंत्री एवं कैबिनेट मंत्री होते हैं। इनके कार्य एवं फैसलों की प्रशंसा एवं निंदा की जा सकती है परंतु किसी साजिश के तहत मिथ्या अथवा मनगढ़ंत, तथ्यों अथवा तर्कों के आधार पर बदनाम करना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं बल्कि मानहानि के अपराध के तहत माना जाता है।
IPC 499-500 मानहानि की धारा में गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं राजीनामा के नियम
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 499 परिभाषा एवं दण्ड धारा 500 के अंतर्गत मानहानि का अपराध होगा। दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 199(2) के अनुसार इस प्रकार के अपराध पर आपराधिक मामला लोक अभियोजक द्वारा लिखित परिवाद पर लाया जा सकेगा।
आईपीसी की धारा 500 के अंतर्गत, दण्ड, जमानत, राजीनामा जानिए
आईपीसी की धारा 500 का अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता है अर्थात लोक अभियोजक सेशन न्यायालय में राज्य या केंद्र सरकार की मंजूरी से परिवाद दर्ज कर सकता है एवं इस अपराध के लिए जमानत न्यायालय द्वारा ली जा सकती है। इस अपराध की सुनवाई सेशन न्यायालय द्वारा जा सकती है, इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की सादा कारावास या जुर्माना,दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 500 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार राष्ट्रपति, राज्यपाल, उपराष्ट्रपति, राज्य एवं केंद्र के मंत्री एवं राज्य एवं केंद्र के शासक(प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री) पर लांछन लगाने का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर अर्थात न्यायालय की मंजूरी के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसकी मानहानि की गई हो। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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