भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 498 (क) विवाहित महिलाओं की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार है। जिन लोगों को इसके बारे में जानकारी है वह तो अपनी रक्षा कर लेते हैं परंतु बहुत सारी महिलाओं को अभी भी इसके बारे में सही जानकारी नहीं है और इसके कारण लोग उन्हें आसानी से भ्रमित कर देते हैं।
साधारण शब्दों में कहें तो अगर कोई विवाहित महिला के ससुराल वाले अर्थात पति, देवर, जेष्ठ-जिठानी,नन्द, सास ससुर या पति का कोई भी नातेदार महिला के साथ क्रूरता का व्यवहार करता है या मारपीट करता है तब महिला सभी नातेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा सकती है। अगर पुलिस थाने द्वारा महिला की एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो महिला डायरेक्ट न्यायालय में परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकती है। परिवाद सुनने के लिए न्यायालय का अधिकारिता क्षेत्र कौनसा होगा जानिए।
रूपाली देवी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (निर्णय वर्ष 2019):-
उपरोक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि जिस स्थान पर पत्नी अपने पति या उसके नातेदार द्वारा क्रूरता का शिकार होकर अपना वैवाहिक घर छोड़कर या भाग कर शरण लेती हैं उस स्थान के न्यायालय में भी महिला भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498(ए) के अपराध का परिवाद दर्ज करने का अधिकार क्षेत्र होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com