How to arrest a judicial officer, Important judgment of Supreme Court
सिविल सेवा का अधिकारी एक न्यायिक अधिकारी भी होता है जबकि न्यायालय में स्थापित न्यायाधीश पूर्ण रूप से न्यायिक अधिकारी होता है जो अदालती कार्यवाही का प्रशासन करता है और कानूनी मामलों का विश्लेषण करने के बाद निर्णय लेता है। सवाल यह है कि अगर कोई न्यायिक अधिकारी कोई अपराध या अपकृत्य कार्य करता है, तब उसकी गिरफ्तारी किस प्रकार की जाएगी जानिए।
दिल्ली ज्यूडिशियल सर्विसेज एसोसिएशन बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य (वर्ष 1991)
उपरोक्त मामले में एक न्यायिक अधिकारी को गिरफ्तार करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निम्न दिशा निर्देश दिए गए हैं:-
1. किसी भी अपराध के लिए न्यायिक अधिकारी को जिला न्यायाधीश या हाईकोर्ट को सूचित करने के बाद ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
2. अगर तत्काल गिरफ्तारी की आवश्यकता है तो केवल तकनीकी या
औपचारिक गिरफ्तारी की जानी चाहिए।
3. गिरफ्तारी के तथ्यों को तुरंत जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेज देना चाहिए।
4. संबंधित जिला एवं सेशन कोर्ट के न्यायाधीश की अनुमति के बिना न्यायिक अधिकारी को पुलिस थाने नहीं ले जाना चाहिए।
5. न्यायिक अधिकारी को कभी भी हथकड़ी नहीं लगाना चाहिए।
6. परिवार के सदस्य, कानूनी सलाहकार, को न्यायिक अधिकारी की गिरफ्तारी से पहले सूचित करना चाहिए।
7. न्यायिक अधिकारी से गिरफ्तारी के अधीन कोई बयान दर्ज नहीं किया जाना चाहिए, न ही कोई पंचनामा को तैयार किया जाना चाहिए न ही विधिक सलाहकार की उपस्थिति के अलावा मेडिकल टेस्ट करवाना चाहिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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