How can a compromise be made with the victim in a cognizable offence?
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320(1) में उन अपराधों के समझोता के बारे में बताया गया है जिनका समझौता दोनो पक्षकार स्वयं न्यायालय की आज्ञा के बिना न्यायालय के बाहर कर लेते हैं। एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320(2) में उन अपराधों के समझौते के बारे में बताया गया है जिनका समझौता पक्षकार न्यायालय की आज्ञा के बिना नहीं कर सकते हैं अर्थात न्यायालय की मंजूरी से कर सकते हैं।
लेकिन कुछ संगीन अजमानतीय अपराध जैसे हत्या, बलात्कार,लूट, मानव-वध आदि मामले में भी पीड़ित पक्षकार से समझौता किया जा सकता है जानिए उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय।
★ मुरली बनाम राज्य क्रिमिनल अपील नम्बर. 24(निर्णय वर्ष 2021):- उक्त मामले ने सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम् फैसला सुनाते हुए कहा कि गैर-माफी योग्य संज्ञेय अपराध जैसे, हत्या, बलात्कार आदि में यादि आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता हो जाता हैं और पीड़ित आरोपी को माफ कर देता है तो उस अपराध में सजा को कम किया जा सकता है एवं यह माफी सजा को कम करने का ठोस आधार होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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