कई बार कुछ लोग समाज की शांति भंग करते हैं। उपद्रव करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में समाज में दो प्रकार के दृश्य सामने आते हैं। पहला लोग पुलिस को सूचना दे देते हैं और पुलिस के आने का इंतजार करते हैं और दूसरा उपद्रवी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देते। भारत में किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार केवल पुलिस के पास सुरक्षित है। सवाल यह है कि इस प्रकार आम नागरिकों द्वारा किसी उपद्रवी को हिरासत में लेना कानूनी है या गैरकानूनी, आइए पता लगाते हैं:-
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धार 37 की परिभाषा
उक्त के अंतर्गत भारत के नागरिक को कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए पुलिस एवं मजिस्ट्रेट की सहायता करने का निम्न प्रकार से अधिकार प्राप्त है जानिए एवं वह आबद्ध होगा:-
(क). कोई ऐसा आरोपी या अपराधी जिसे मजिस्ट्रेट या पुलिस गिरफ्तार करने का अधिकार रखते हैं, तब ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी करवाने में सहायता करना।
(ख). कोई व्यक्ति जो परिशांति भंग करता है तब उसे पकड़कर पुलिस या मजिस्ट्रेट को सौपना।
(ग). किसी रेल, नहर, डाकघर, शासकीय टेलीफोन तार, या लोकशान्ति को क्षति पहुंचाने के प्रयत्न का निवारण करने के लिए।
CrPC की धारा 37
अतः, स्पष्ट होता है कि किसी भी उपद्रवी व्यक्ति को पकड़ना, काबू करना या हिरासत में लेना, एक भारतीय नागरिक का कर्तव्य भी है और सीआरपीसी की धारा 37 के तहत कानूनी अधिकार भी, लेकिन उपद्रवी व्यक्ति से पूछताछ करना, नियंत्रण में आ जाने के बाद दंड स्वरूप मारपीट करना, या पुलिस को सूचित किए बिना उपद्रवी को हिरासत में रखना गैर कानूनी है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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