After the death of the victim of a compoundable offence, with whom the offender will compromise
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320(1) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में कोर्ट के बाहर दोनों पक्ष समझौता कर सकते हैं। सीआरपीसी की धारा 320(2) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में कोर्ट की अनुमति से समझौता किया जा सकता है, परंतु यदि दोनों ही प्रकार के अपराधों में पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो अपराधी का क्या होगा। क्या उसके सामने समझौता का कोई विकल्प होगा या फिर से सजा भोगनी पड़ेगी। पढ़िए:-
CrPC 1973 की धारा 320(4) की उपधारा (ख़) की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति किसी शमनीय अपराध से पीड़ित था एवं उसकी की मृत्यु हो जाए तब अपराधी उसके किसी विधिक प्रतिनिधि (उत्तराधिकारी) अर्थात पुत्र, पुत्री, माता-पिता या पत्नी,भाई-बहन आदि से समझौता कर सकता है।
Definition of sub-section (b) of section 320(4) of CrPC 1973
साधारण शब्दों में अगर कहें तो कोई व्यक्ति सामान्य चोट के अपराध से पीड़ित है एवं पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तब आरोपी को सामान्य उपहति के अपराध से ही दण्डित किया जाएगा,एवं अपराधी पीड़ित व्यक्ति के किसी भी विधिक प्रतिनिधि से समझौता कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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