अनूपपुर। कहते हैं कि लालची इंसानों का कोई ईमान और धर्म नहीं होता। कुछ ऐसा ही एक मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में 1 ग्राम पंचायत सचिव ने घपला करने के लिए अपनी मां के 4 पति घोषित कर दिए।
पावर मिलते ही फंडिंग भी शुरू हो गई
वर्ष 2018 से 2020 के बीच अनूपपुर जिले की लतार ग्राम पंचायत में रोजगार सहायक नरेश लहरे को ग्राम पंचायत सचिव पद का प्रभार दिया गया था। इसी समय प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभियान चलाकर निर्धन लोगों को मकान बनाने के लिए फंडिंग की जा रही थी। नरेश लहरे को लोगों से आवेदन लेकर उनकी इंस्टॉलमेंट के भुगतान की प्रक्रिया पूरी करानी थी। जियो टैगिंग यानी बनने वाले मकानों का जमीनी सत्यापन कराना था। सभी दस्तावेजों को पंचायत में संभालकर रखना था।
जिला पंचायत की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
जिला पंचायत की अब तक की जांच में पता चला है कि नरेश ने अपनी जिम्मेदारियों को निजी स्वार्थपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया। इन्वेस्टिगेशन में पाया गया कि, नरेश के चार अन्य भाई भी हैं। पहला सुरेश, दूसरा राजाराम, तीसरा कमलेश और चौथे का नाम जिला पंचायत ने सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन इतना बताया कि वह सरकारी नौकरी में है और इस मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है। पांचों के पिता का नाम है, ठुगनू और मां का नाम गुलइची।
सबसे पहले नियमानुसार आवास मंजूर किया
नरेश ने सबसे पहले भाई सुरेश का आवास मंजूर कराया। उसकी इंस्टॉलमेंट भी आ गईं। इसमें पिता का नाम ठुगनू और मां का नाम गुलइची लिखा है। ये दोनों नाम बिल्कुल सही हैं। क्योंकि यही सुरेश के असली माता-पिता हैं। इस केस में कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ।
दूसरे आवास के लिए भाई के पिता का नाम बदल दिया
नरेश ने अपने दूसरे भाई राजाराम की पत्नी सावित्री के नाम से आवास मंजूर कराया। सावित्री के पिता का नाम रामचरण लिखा जो सही है, लेकिन मां की जगह गुलइची लिखा गया। जबकि गुलइची सावित्री की मां नहीं सास है। ऐसा करके 1.50 लाख रुपए की इंस्टॉलमेंट की हेराफेरी कर ली गई।
तीसरे भाई के नाम भी पिता बदलकर आवास मंजूर कर दिया
नरेश के हाथ में जैसे पारस पत्थर लग गया था। वो हर चीज काे छूकर सोने में तब्दील कर लेना चाहता था। उसने सुरेश और राजाराम के बाद तीसरे भाई कमलेश पर भी दरियादिली दिखाई। उसकी पत्नी कमलेश्वरी के नाम आवास मंजूर कराया। कमलेश्वरी के पिता का नाम ननसी लिखा गया जो बिल्कुल सही है, लेकिन यहां भी मां के नाम में गुलइची लिखा है। गुलइची कमलेश्वरी की सास है। इस मामले में भी 1.50 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ।
अंत में खुद के बाप का नाम बदलकर आवास मंजूर कर लिया
नरेश ने पत्नी प्रेमाबाई के नाम से भी आवास मंजूर कराया। प्रेमाबाई के पिता के नाम में गोलीदास लिखा है जो सही है। माता के नाम की जगह एक बार फिर गुलइची लिखा है। यानी अपने केस में तो नरेश ने अपनी मां को ही सास बना लिया और इस तरह खुद के और भाइयों के केस मिलाकर उसने कागजों में तीन बार मां के पति बदल दिए। इतना ही नहीं उसने हितग्राही की जगह अपने 15 साल के बेटे को खड़ा करके फोटो लेकर जियो टैगिंग कर ली। इस केस में भी 1.50 लाख रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है।
सिर्फ पिता का नाम ही क्यों बदलता था
नरेश अगर भाइयों और खुद की पत्नी के दस्तावेज में पिता का नाम नहीं बदलता तो उसे एड्रेस यानी पते की परेशानी का सामना करना पड़ता। योजना के तहत मां या पिता दोनों में से एक के पते का भौतिक सत्यापन जरूरी है। ऐसे में नरेश अगर वास्तविक पिता का नाम लिखता तो वेरिफिकेशन में पकड़ा जाता।
उसे लगता था गांव में कौन जांच करने आएगा
जिला पंचायत की जांच में पता चला कि नरेश चैतू कौल पिता लीला कौल, धन्नू यादव पिता रेवा यादव और रामसिंह पिता जोहन सिंह को दूसरे के घर के सामने ले जाकर खड़ा किया। फोटो लिए और जियो टैगिंग करा दी। जबकि तीनों के घर अधूरे थे और ऐसी दशा में इंस्टॉलमेंट का भुगतान नहीं होना था, लेकिन इसके बाद भी तीनों को कुल साढ़े चार लाख रुपए का भुगतान हुआ।
आरोप है कि पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण अंगूठे लगवाकर नरेश ने पैसे ले लिए। इसके अलावा जितेंद्र चौधरी और दौलती चौधरी दो भाई हैं। दोनों के पिता का नाम है दासू चौधरी। नरेश ने जितेंद्र को दौलत के घर के सामने खड़ा कर 1.50 लाख रुपए की हेराफेरी की। कुछ लोगों ने जब जिला पंचायत में शिकायत की तो मामला सामने आया।
जिला पंचायत सीईओ बोले- FIR के निर्देश दिए
जिला पंचायत सीईओ अभय सिंह ओहरिया ने बताया ग्राम रोजगार सहायक नरेश प्रसाद लहरे के खिलाफ शिकायत मिली थी। जनपद स्तर पर जांच कराई गई है। जांच में प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जी केस और गलत जियो टैगिंग पाई गई है। FIR कराने के निर्देश दिए गए हैं।
आरोपी बोला- बार-बार शिकायत से परेशान कर रहे
इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाले पत्रकार श्री शिवम साहू ने नरेश लहरे से बात की। उसने अपने वकील की सलाह पर कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया लेकिन ऑफ कैमरा कहा कि पूर्व में भी मेरे खिलाफ कमिश्नर से पीएम आवास के फर्जीवाड़े की शिकायत की गई थी। जिस पर जनपद पंचायत की टीम ने जांच की थी। मेरे खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिले। बार-बार शिकायत करके मुझे परेशान किया जा रहा है।
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