Madhya Pradesh Government Teachers Recruitment counselling news
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नवनियुक्त उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 1 वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी ताजा आदेश को हाईकोर्ट की अवमानना बताते हुए, स्पष्ट किया गया है कि जिन उम्मीदवारों को उनकी मर्जी के खिलाफ ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्ति दे दी गई है, वह अब क्या कर सकते हैं।
श्री रामेश्वर डांगी एवं अन्य विरुद्ध स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन
मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग की चयन सूची में उनकी मर्जी के बिना शामिल किए गए शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति एवं चॉइस फिलिंग से वंचित या अपात्र किए जाने के विरूद्ध श्री रामेश्वर डांगी उच्च माध्यमिक शिक्षक एवम 15 अन्य शिक्षकों ने उच्च न्यायालय जबलपुर में स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के विरूद्ध रिट याचिका दायर की थी।
उच्च माध्यमिक शिक्षकों की ओर से पैरोकार उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी एवम श्री अमर प्रकाश गुप्ता ने सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को बताया था कि दोनों विभागों के भर्ती नियमों एवं अन्य संशोधित भर्ती नियमों एवम चयन प्रक्रिया को शासित करने वाले आदेशों में ऐसा कोई प्रतिबंध नही है कि जनजातीय कार्य विभाग में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति हेतु पात्र नही है। अतः शासन की नोडल एजेंसी लोक शिक्षण संचालनालय का यह कार्य संविधान के अनुच्छेद 14 एवम 16 का उल्लंघन है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
जनजातीय कार्य विभाग में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा के विभागीय आदेशों के पालन में ही चयन प्रक्रिया में शामिल हुए थे। आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षकों को, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति प्राप्त करने हेतु, वैध पात्र होने के उपरांत भी, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति हेतु अपात्र करना, एक कृत्रिम वर्ग का निर्माण करना है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो कृत्रिम वर्गीकरण को निषिद्ध करता है।
मेरिट सूची में उच्च स्थान प्राप्ति के बाद, ऐसा कोई नियम नहीं है, जिससे आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति से वंचित किए जा सकें।
सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने शासन से जवाब तलब करते हुए, रामेश्वर डांगी एवम अन्य को चॉइस फिलिंग में शामिल किए जाने का अंतरिम आदेश पारित किया था। साथ ही यह आदेश दिया था कि कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम घोषित नही किए जावे।
अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी उच्च न्यायालय, जबलपुर ने बताया कि इंदौर बेंच ने समान प्रकृति की याचिका को खारिज कर दिया था। उक्त आदेश के प्रकाश में, कुछ कम अंक प्राप्त अभ्यर्थियों द्वारा रामेश्वर डांगी की याचिका में हस्तक्षेप आवदेन दायर कर, स्टे एवम याचिका खारिज करने की प्रार्थना की गई थी। उक्तानुसार, आयुक्त लोक शिक्षण द्वारा, जवाब दाखिल कर, याचिका डिस्मिस करने की मांग की गई थी परंतु, अपील की सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने सिंगल बेंच के आदेश को स्टे कर, अपीलार्थी के पक्ष में अंतरिम आदेश जारी किया है। अर्थात पूर्व में जारी अंतरिम आदेशों की पुष्टि हुई है।
आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश उच्च न्यायालय की अवमानना
परंतु, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने, उच्च न्यायालय, जबलपुर के आदेश का अतिक्रमण कर, कम अंक प्राप्त अभ्यर्थियों के पक्ष में नियुक्ति आदेश जारी कर दिए हैं, जिसके कारण कोर्ट के आदेश की अवमानना हुई है। अतः कुछ शिक्षक अवमानना याचिका दायर करने के पक्ष में हैं। डबल बेंच के हस्तक्षेप के बाद, ट्राइबल में नियुक्त अधिक अंक प्राप्त शिक्षकों का केस मजबूत हुआ है। वहीं दूसरी ओर रामेश्वर डांगी एवम अन्य के पक्ष में पारित आदेश की अवहेलना आयुक्त लोकशिक्षण द्वारा की गई है। शिक्षक अवमानना याचिका पर विचार कर रहे हैं।
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