Madhya Pradesh Government teachers recruitment news
मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग में शिक्षक पद पर नियुक्ति संयुक्त पात्रता परीक्षा, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, भोपाल द्वारा ली गई थी, जिसका रिजल्ट मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा जारी किया गया। नियुक्ति हेतु लोक शिक्षण संचालनालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
नोडल एजेंसी को नियम पालन करना था परंतु उसने नया नियम बना दिया
उम्मीदवारों ने अपनी सुविधा एवं भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग में नियुक्ति हेतु आवेदन किए थे परंतु नोडल एजेंसी लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा ऐसा प्रावधान कर दिया गया कि स्कूल शिक्षा विभाग हेतु प्राप्त हुए आवेदनों को जनजातीय कार्य विभाग में नियुक्ति हेतु पात्र मान लिया। इस सिद्धांत के हिसाब से दोनों विभागों में नियुक्ति की प्रक्रिया एक साथ प्रारंभ होनी चाहिए थी परंतु सन 2019 में पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवारों की नियुक्ति प्रक्रिया पहले जनजातीय कार्य विभाग द्वारा शुरू कर दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि मेरिट लिस्ट में जिन उम्मीदवारों का नाम सबसे ऊपर था उनको जनजातीय कार्य विभाग की चयन सूची में दर्ज कर दिया गया।
मेरिट लिस्ट वाले उम्मीदवारों को विश्वास था कि उनके पास जनजातीय कार्य विभाग अथवा स्कूल शिक्षा विभाग दोनों में से किसी भी विभाग में नियुक्ति प्राप्त करने का अधिकार होगा परंतु नोडल एजेंसी मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय ने उन सभी उम्मीदवारों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति के लिए अपात्र घोषित कर दिया जिनका नाम जनजातीय कार्य विभाग की चयन सूची में दर्ज कर दिया गया था।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया है
स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति एवम चॉइस फिलिंग से वंचित या अपात्र किए जाने पर शिक्षको द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश के आदेश के विरूद्ध रिट याचिका दायर की गई थी। अंतरिम आदेश शिक्षकों के पक्ष में जारी किया गया है।
संविधान एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन
उच्च उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी एवम श्री अमर प्रकाश गुप्ता ने बताया कि दोनों विभागों के भर्ती नियमों एवं अन्य संशोधित भर्ती नियमों एवम चयन प्रक्रिया को शासित करने वाले आदेशों में ऐसा कोई प्रतिबंध नही है कि ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति हेतु पात्र नही होंगे। अतः शासन का यह कार्य, सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय की अवमानना है, जिसने यह कहा गया कि लोक रोजगार का आधार मेरिट ही होगा, यदि ऐसा नहीं किया जाता तो इसे संविधान के अनुच्छेद 14 एवम 16 का उल्लंघन माना जाएगा।
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