Madhya Pradesh Government and Private Employees news
कर्मचारियों से ओवरटाइम तो पूरी दुनिया में कराया जाता है परंतु निर्धारित समय के बाद कराए गए काम का पारिश्रमिक कितना होना चाहिए, इसको लेकर कई फार्मूले लागू कर दिए जाते हैं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक विवाद में निर्धारित किया है कि किसी भी कर्मचारी को ओवर टाइम का कम से कम कितना पारिश्रमिक दिया जाना चाहिए।
कर्मचारी को ओवरटाइम के पारिश्रमिक का अधिकार - Right to Overtime Wages
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल की एकल पीठ में एक याचिका की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि मध्यप्रदेश दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 55 के अनुसार ओवरटाइम की स्थिति में कर्मचारी कम से कम 2 गुना वेतन का अधिकारी होता है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में यह याचिका मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी उपभोक्ता संघ की ओर से लगाई गई थी। इसमें बताया गया था कि सरकार ने ओवरटाइम की दर नियम विरुद्ध निर्धारित कर दी है। बहस के दौरान हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि मप्र राज्य कर्मचारी उपभोक्ता संघ के अंतर्गत सहकारी समितियां समाहित हैं। जिनका कार्य उपभोक्ताओं को उचित दर पर निर्धारित वस्तुओं का विक्रय करना है। संघ की संपत्ति में सहकारी समितियों के कर्मचारियों का भी अंश है।
संघ के एमडी व बोर्ड आफ डायरेक्टर ने आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए ओवर टाइम की दर दुगनी से घटाकर सामान्य कर दी है, जो नियम विरुद्ध है। बताया गया कि उक्त निर्णय मनमाने तरीके से लिया गया है, जो न्यायोचित नहीं है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद याचिका स्वीकार करते हुए अनुचित आदेश निरस्त कर दिया।
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