वन विभाग के कर्मचारियों ने काम बंद हड़ताल का अल्टीमेटम दिया, भोपाल में प्रदर्शन- MP NEWS

Madhya Pradesh Government Forest Department employees news 

मध्यप्रदेश शासन वन विभाग के कर्मचारियों ने आज राजधानी भोपाल में रैली निकाली एवं धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने सरकार के नाम मांग पत्र जारी किया एवं काम बंद हड़ताल का अल्टीमेटम दिया। 

मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ के आह्वान पर रैली एवं धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। सभी कर्मचारी विधिवत छुट्टी लेकर इस कार्यक्रम में शामिल हुए। धरना प्रदर्शन के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों ने अपने मांग पत्र में 21 मांगों का उल्लेख किया एवं सरकार को अल्टीमेटम दिया कि यदि 5 मई तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो 6 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।

मध्य प्रदेश वन विभाग कर्मचारियों की मांगे

  • वनरक्षक के समयमान वेतनमान के आदेश जारी करने। 
  • 22 हजार वनरक्षकों एवं उनसे पदोन्नत वनपाल एवं उप वन क्षेत्रपाल को लाभ देने। 
  • ग्रेड-पे बढ़ाया जाए।
  • राजस्व एवं पुलिस के समान वेतनमान और 13 माह का वेतन किया जाने।
  • कर्मचारियों को सशस्त्र बल घोषित करने के लिए आईपीसी एवं सीआरपीसी में संशोधन कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदान करने।
  • वनकर्मियों को महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर पांच हजार रुपए वर्दी भत्ता प्रदान किया जाए।
  • 13 माह का वेतन, पौष्टिक भत्ता, नक्सलाइट क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारियों को भत्ता एवं टाइगर रिजर्व की बीटों में दो वनरक्षकों की पदस्थिति हो।
  • पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए।
  • वन विभाग में कार्यरत सभी वर्ग के लिपिक, निज सहायक और वरिष्ठ निज सहायक का वेतनमान मंत्रालय में कार्यरत लिपिकों के समान किया जाए।
  • कर्मचारियों की पदोन्नति पुलिस, राजस्व विभाग के समान या उच्च पद के प्रभार दिए जाने के आदेश दिए जाए।
  • वनरक्षक को बीट परिसर में एवं अन्य शासकीय कार्यों में आने-जाने के लिए फिक्स टीए निर्धारित किया जाकर भुगतान किया जाए।
  • कर्मचारियों की सेवा को तकनीकी सेवा घोषित की जाए। शहीदों के समान परिवार के सदस्यों को एक करोड़ रुपए की राशि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाए।

आंदोलन में इतने कर्मचारी होंगे शामिल 

मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ ने ऐलान किया है कि उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल में वन विभाग के 5600 स्थाईकर्मी, 12000 वनरक्षक, 550 वनपाल, 700 उपवन क्षेत्रपाल और 1192 वन क्षेत्रपाल शामिल होंगे। वनकर्मियों ने वर्ष 2008, 2011 और 2018 में भी आंदोलन किया था। इस दौरान सरकार ने बुलाकर बातचीत कर मांगे पूरी करने का भरोसा दिलाते हुए समझौता किया था। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने तीनों समझौतों का उल्लंघन किया। इस कारण संघ ने मजबूर होकर चरणबद्ध आंदोलन करने का निर्णय लिया है। आगामी समय में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जा रहा है। 

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