Madhya Pradesh politics news
मध्य प्रदेश के खंडवा में मंगलवार को लाडली बहना योजना के सम्मेलन के बाद वन मंत्री विजय शाह एवं उनके सुपुत्र श्री दिव्यादित्य शाह ने बवाल काट डाला था। मीडिया की सुर्खियों में मुख्यमंत्री के भाषण एवं लाडली बहना योजना के सम्मेलन की खबरों से ज्यादा कैबिनेट मंत्री विजय शाह की बयान नजर आ रहे थे। मंत्री विजय शाह ने तो यहां तक चैलेंज कर दिया था कि, इस एसपी को ज्यादा दिन तक नहीं रहने दूंगा। बुधवार को जब सड़कों पर उतरने की बारी आई तो मंत्री और उनके पुत्र अपने समर्थकों के साथ अकेले रह गए। पार्टी नाराज थी। अब दोनों, स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।
लिस्ट में नाम नहीं था तो तमाशा क्यों किया, संगठन का सीधा सवाल
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के तहत सिक्योरिटी मौजूद थी। श्री सत्येंद्र शुक्ला आईपीएस ने 2 दिन पहले ही खंडवा के एसपी का पदभार ग्रहण किया था। वह स्वयं मौजूद थे। अचानक एक लड़का तेजी से मंच पर चढ़ता है तो स्वभाविक है उसे बलपूर्वक रोका जाएगा। यही हुआ। यह लड़का दिव्यादित्य शाह था। मंत्री श्री विजय शाह के सुपुत्र और जिला पंचायत के उपाध्यक्ष। पुलिस ने रोका तो नाराज हो गए। पार्टी कार्यालय में जाकर हंगामा किया। पत्रकारों के सामने बयान दिए। मंत्री श्री विजय शाह ने भी आग में घी डाला। मामले को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया।
जांच की तो पता चला कि, दिव्यादित्य शाह को मंच पर जाने की अनुमति ही नहीं थी। पुलिस ने जो किया वो सही किया। सवाल यह है कि जब लिस्ट में नाम ही नहीं था तो फिर इतना सारा तमाशा क्यों किया। अनुशासन भंग करने की आवश्यकता क्या थी।
सड़कों पर उतरे तो अकेले रह गए, पीछे पार्टी नहीं है
जबकि विधानसभा चुनाव नजदीक चल रहे हैं। सरकारी कार्यक्रम में विघ्न डालने के बाद भी चुप नहीं बैठे। बुधवार को विरोध में सड़कों पर उतर आए परंतु स्थिति मंगलवार जैसी नहीं थी। दिव्यादित्य शाह अकेले अपने समर्थकों के साथ चल रहे थे। पार्टी उनके पीछे नहीं थी। अब बजाना में संशोधन करके किरकिरी को कम करने की कोशिश की जा रही है।
युवा मोर्चा के जो कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल थे, उनमें से भी कई कह रहे हैं कि वह तो पार्टी का कार्यक्रम होने के नाते शामिल हुए थे। उन्हें मालूम नहीं था कि पार्टी पीछे नहीं है। अब देखना यह है कि श्यामला हिल्स और 6 नंबर में इस घटनाक्रम को लेकर क्या डिसीजन बनता है। नजरअंदाज करेंगे या भविष्य में ऐसा ना हो इसका इंतजाम करेंगे। 5 अप्रैल तक लग रहा था कि खंडवा की जमीन पर भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल बजेगा परंतु बयानों के बाद अनुमान बदल गए हैं।
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