Madhya Pradesh school education department news
मध्यप्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल की ओर से कई बार स्पष्ट किया जा चुका है और इस बार कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से चेतावनी देते हुए कहा गया है कि व्यवसायिक शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत व्यवसायिक शिक्षकों को किसी भी प्रकार के सरकारी काम में नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि वह ना तो मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारी हैं और ना ही मध्य प्रदेश शासन के सभी प्रकार के कामों के लिए नियुक्त किए गए हैं।
व्यवसायिक प्रशिक्षकों के मामले में संस्था का प्राचार्य केवल सुपरवाइजर है
स्पष्ट किया गया है कि नवीन व्यावसायिक शिक्षा अंतर्गत कार्यरत समस्त वोकेशनल टीचर्स, उनको नियुक्त करने वाली प्राइवेट कम्पनी के एम्पलाई है। कम्पनी द्वारा निर्धारित और जारी किये गये व्यावसायिक शिक्षा संबंधी समस्त कार्य जैसे सैद्धान्तिक अध्यापन, प्रायोगिक अध्यापन, गेस्ट लेक्चर, इंडस्ट्री विजिट, पोर्टफोलियो, ऑन द जॉब ट्रेनिंग, अप्रेन्टिशिट ट्रेनिंग प्री वोकेशनल कार्य, स्किल सर्टिफिकेशन कार्य, विमर्श पर व्यावसायिक शिक्षा संबंधी इंट्री संबंधी कई कार्य हैं। संस्था प्राचार्य का सिर्फ यह दायित्व है कि वोकेशनल टीचर्स लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार कम्पनी द्वारा व्यावसायिक शिक्षा संबंधी प्रदत सभी दायित्व का पूर्णरूपेण निर्वहन कर रहे है या नहीं। इस बात को सुनिश्चित करें।
यह नोट करना अनिवार्य है कि, संस्था का प्राचार्य सिर्फ लोक शिक्षण संचालनालय को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है। ना तो व्यवसायिक शिक्षक को सस्पेंड कर सकता है और ना ही किसी भी प्रकार से दंडित अथवा आदेशित कर सकता है। प्राचार्य किसी भी प्रकार के दंड का प्रस्ताव भी नहीं भेज सकता।
मध्य प्रदेश में कुछ संस्थाओं में संस्था प्राचार्यों ने वोकेशनल टीचर्स को व्यावसायिक शिक्षा के अतिरिक्त कई अन्य कार्यों में संलग्न कर रखा है। अतः सभी संस्था प्राचार्य निम्नांकित सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर उचित कार्यवाही कर पालन प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं।
1. वोकेशनल टीचर्स से कोई भी अतिरिक्त कार्य न कराया जाये, क्योंकि वह कंपनी के एम्पलाई हैं। उनके लिए उनके कार्यों का एक फिक्स्ड असाईन्ड वर्क है ।
2. कई संस्थाओं में उनसे कॉलरशिप संबंधी कार्य या कम्प्यूटर संबंधित अन्य कार्य, विमर्श संबंधी
कार्य, रिजल्ट ऑनलाइन संबंधी कार्य कराया जा रहा है, जो कि घोर आपत्तिजनक है।
3. कई संस्थाओं में वीटी से ऑफिस वर्क भी कराया जा रहा है।
4. कई जगह उन्हें सोशल साइंस और अंग्रेजी अध्यापन विषय भी सौंप दिया गया है।
5. कई संस्थाओं में उमंग का नोडल प्रभारी भी बना दिया गया है।
6. साथ-साथ कक्षा अध्यापक का दायित्व भी सौंप दिया गया है और उन्हें उमंग के सत्र लेने के लिए भी
बाध्य किया जाता रहा है।
मध्यप्रदेश में कई संस्थाओं में गेस्ट लेक्चर और इंडस्ट्री विजिट के पेमेंट का इश्यू है। प्राचार्य द्वारा या फिर नोडल द्वारा व्यावसायिक शिक्षा संबंधी कार्यों के लिए वीटी को सहयोग नहीं प्रदान किया जा रहा है।
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