मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती घोटाले का संज्ञान आयुक्त निशक्तजन कल्याण श्री संदीप रजक द्वारा लिया गया है। उन्होंने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय और आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग से दिव्यांग श्रेणी में चयन किए गए कैंडिडेट्स की लिस्ट मांगी है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांग जनों के लिए आरक्षित 755 पदों में से 450 पदों पर ऐसे उम्मीदवारों की नियुक्ति हुई है जो मुरैना में रहते हैं और जिन्होंने हजीरा ग्वालियर मेडिकल से श्रवण बाधित का सर्टिफिकेट बनवाया है।
दिव्यांगजन अधिनियम-2016 के अनुसार यह दंडनीय अपराध
आयुक्त निशक्तजन कल्याण द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम के अनुसार कर्मचारी चयन मण्डल मध्यप्रदेश द्वारा प्राथमिक शिक्षक पद के लिये पात्रता परीक्षा परिणाम के आधार पर जारी विज्ञापन के अनुक्रम में दिव्यांगजन के लिये आरक्षित 1086 पदों में से 755 पदों पर विभिन्न दिव्यांगजन का चयन हुआ है। इनमें से 450 दिव्यांगजन अकेले मुरैना जिले से हैं। दिव्यांगजन अधिनियम-2016 के अनुसार जो कोई कपट पूर्वक संदर्भित दिव्यांगजन के लिये आशयित किसी फायदे को लेता है या लेने का प्रयास करता है, वह दण्डनीय है। ऐसे मामले में 2 वर्ष तक का कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित होगा।
स्वास्थ्य विभाग को भी जांच करनी चाहिए
यह मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है। इसमें डॉक्टरों का एक सिंडिकेट शामिल है। यह डॉक्टर कई प्रकार के फर्जी सर्टिफिकेट बनाते हैं जिनके कारण लोगों को सरकारी योजनाओं में लाभ होता है। भोपाल समाचार को एक सूत्र ने बताया है कि मामला केवल शिक्षक भर्ती का नहीं है बल्कि इससे बहुत बड़ा है। इस प्रकार के दिव्यांग सर्टिफिकेट की मदद से करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी का फायदा भी उठाया गया है। इस मामले की जांच कोई एक डिपार्टमेंट नहीं कर सकता। SIT बनाई जानी चाहिए।
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