Madhya Pradesh employees Selection Board news
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा आयोजित समूह 5 संयुक्त भर्ती परीक्षा भी विवादों के घेरे में आ गई है। कारण कर्मचारी चयन मंडल का डाक विभाग की तरह काम करना। फार्मासिस्ट के पदों के लिए हर विभाग ने रिक्त पदों की जानकारी भेजी और पुराने नियम कॉपी पेस्ट कर दिए जबकि सन 2014 में केंद्र सरकार ने योग्यता में बदलाव कर दिया है।
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल फार्मासिस्ट भर्ती परीक्षा विभाग
सरकार से संबंधित परीक्षाओं में नकल और बेईमानी रोकने के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सन 1970 में किया गया था। इसी को आजकल मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल के नाम से पुकारा जाता है। MPESB द्वारा लगभग 5000 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए समूह 5 संयुक्त भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया है। इसमें फार्मासिस्ट के 541 पदों के लिए परीक्षा नहीं जा रही है। गड़बड़ी यह है कि, राज्य मध्यप्रदेश है, परीक्षा लेने वाली एजेंसी कर्मचारी चयन मंडल, फिर भी विभिन्न विभागों में फार्मासिस्ट के पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता अलग-अलग निर्धारित की गई है:-
- कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं संचालनालय इंदौर के लिए विज्ञान समूह से 12वीं पास अनिवार्य।
- कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल भोपाल के लिए विज्ञान समूह से 12वीं पास अनिवार्य।
- संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के लिए फार्मासिस्ट की डिग्री के साथ कक्षा 12 में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी अनिवार्य।
- सरकारी मेडिकल कॉलेज दतिया के लिए फार्मासिस्ट की डिग्री के साथ कक्षा 12 में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी अनिवार्य।
- श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज शिवपुरी के लिए कक्षा 12 में बायोलॉजी अनिवार्य।
कुल मिलाकर फार्मासिस्ट के 1 पद के लिए एक ही राज्य में एक ही एजेंसी द्वारा आयोजित परीक्षा में अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताएं मांगी गई है। अभी रिजल्ट जारी नहीं हुआ है परंतु विवाद निश्चित है क्योंकि मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की डायरेक्टर सुश्री षणमुख प्रिया मिश्रा यह मानने को तैयार नहीं है कि गलती हो गई है और इसे रिजल्ट जारी करने से पहले ठीक कर लेना चाहिए। उनका कहना है कि जो नियम विभाग ने बनाए हमने उन्हें लागू कर दिया है। हम नियम नहीं बनाते।
मध्यप्रदेश में कर्मचारी चयन मंडल करता क्या है
डायरेक्टर सुश्री षणमुख प्रिया मिश्रा के अनुसार कर्मचारी चयन मंडल भर्ती नियम नहीं बनाता। भर्ती नियमों की जांच भी नहीं करता। परीक्षा प्राइवेट एजेंसी आयोजित कर आती है और रिजल्ट भी वही बना कर देती है। परीक्षा के लिए पेपर में आउटसोर्स विद्वानों द्वारा बनाए जाते हैं। सवाल यह है कि फिर मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल क्या करता है। यदि ईमानदारी और न्याय की गारंटी नहीं दे सकता तो ऐसे संगठन की क्या आवश्यकता। जो काम व्यापम कर रहा है, यह काम तो पोस्ट ऑफिस भी कर सकता है।
कर्मचारी चयन मंडल को क्या करना चाहिए था
यह गलती जो उम्मीदवारों ने पकड़ी है, कर्मचारी चयन मंडल को पकड़ना चाहिए थी। यदि नहीं पकड़ पाए और उम्मीदवारों ने बता दिया है तो तत्काल गड़बड़ी को समझकर सभी विभागों से कम्युनिकेट करके सभी के लिए समान योग्यता एवं शर्तें निर्धारित की जानी चाहिए। कर्मचारी चयन मंडल के अजीब से रवैया के कारण यह विवाद हाईकोर्ट तक चला जाएगा और इसका नुकसान शासन को होगा क्योंकि फार्मासिस्ट के पदों पर निर्धारित तारीख को नियुक्तियां नहीं हो पाएंगी।
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