Amazing facts in Hindi about rajdand
हजारों साल बाद एक बार फिर राजदंड भारतवर्ष की सुर्खियों में है। राजदंड क्या होता है, राजदंड का अर्थ क्या है, राजदंड किससे बनता है, राजदंड कैसा दिखता है और राजदंड किसका प्रतीक है। इन सभी सवालों के सही जवाब प्रत्येक भारतीय नागरिक के पास होना अनिवार्य है, अन्यथा कोई भी लोगों को किसी भी प्रकार से अपना शिकार बना सकता है।
राजदंड क्या होता है
यह हजारों साल प्राचीन परंपरा है। राज्याभिषेक के समय जब नए राजा को मुकुट बनाया जाता था तब उसे राजदंड भी दिया जाता था। यह इस बात का प्रमाण होता है कि, राजदंड धारण करने वाला व्यक्ति राज्य का मुख्य न्यायाधीश है। न्याय के प्रति अटूट कर्तव्य और दंड की शक्ति उसी व्यक्ति के पास होती है जो राजदंड धारण करता है। राजदंड धारण करते समय, राजाओं को संकल्प दिलाया जाता था कि, न्याय सबके लिए समान होगा। न्याय की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा।
राजदंड का अर्थ क्या है
राजदंड केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रयोग किया जाता रहा है। ईसाई देशों में इसे अंग्रेजी भाषा में SCEPTER अथवा ROYAL SCEPTER कहा जाता है। वहां इसका अर्थ होता है, सत्ता का अधिकारी होना। यानी जिस व्यक्ति के हाथ में SCEPTER है, भीड़ में पहचाना जा सकता है कि वही राजा है। भारतवर्ष में राजदंड का अर्थ होता है, न्याय। भारतीय प्राचीन मान्यता है कि जहां पर राजदंड स्थापित है वहां पर न्याय अवश्य होता है। जो राजा, राजदंड धारण करने के बाद न्याय नहीं करता, महादेव उसका विनाश कर देते हैं।
राजदंड किससे बनता है
दुनिया के अलग-अलग राज्यों में राजदंड अलग-अलग चीजों से बनाया जाता था। कुछ राज्यों में यह सोने और चांदी की धातु से बनाया गया। कुछ राज्यों में लकड़ी से बनाया गया। भारत में चंदन आदि पवित्र एवं पूज्य वृक्षों की लकड़ी से राजदंड का निर्माण करके उस पर स्वर्ण आदि धातु की परत चढ़ाने के बाद, उसे विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता था और एक देवता की तरह उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती थी।
राजदंड किसका प्रतीक है
दुनिया के ज्यादातर देशों में राजदंड सत्ता का प्रतीक है। जिस व्यक्ति के हाथ में राजदंड है वही व्यक्ति राजा है परंतु भारतवर्ष में राजदंड, राजा के द्वारा न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। जो राजा अपने हाथ में राजदंड धारण करता है। वह इस संकल्प की उद्घोषणा करता है कि, वह हर हाल में न्याय करेगा और न्याय के विषय में किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह अथवा भेदभाव नहीं करेगा। ✒ ध्रुव ऋषि
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