किसी भी देश का भविष्य तभी निर्धारित किया जा सकता है जब उसके इतिहास के विषय में सही और सटीक जानकारी हो। अन्यथा की स्थिति में प्रयोग किए जाते हैं और कभी सफल होते हैं तो कभी तबाही ले आते हैं। यही कारण है कि दुनिया भर में पुरातत्व महत्व के स्मारक, स्थान, मूर्तियां और सिक्के आदि सब कुछ सरकारों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर संरक्षित किए जाते हैं। आइए जानते हैं कि भारत के संविधान में ऐसा क्या प्रावधान किया गया है जो राज्य सरकार है, उपरोक्त के प्रति जिम्मेदार हो जाती हैं।
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 49 की परिभाषा
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 49 राज्य को यह करने के लिए बाध्य करता है कि राज्य कलात्मक एवं ऐतिहासिक अभिरुचि वाले प्रत्येक स्मारक या स्थान या वस्तुओं, मूर्तियों, सिक्कों को लूटने से बचाएगा, रूपांतरण होने से रोकेगा, नष्ट नहीं होने देगा, खराब नहीं होने देगा, क्रय विक्रय से रक्षा करेगा।
इतिहास भूल जाने से क्या नुकसान होता है
कुछ आधुनिक वैज्ञानिक जिनके पास पुरानी जानकारी नहीं थी। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि, गौरैया चिड़िया फसल के दाने खा जाती है। इसलिए फसल का उत्पादन थोड़ा कम होता है। चीन की सरकार ने सन 1958 में एक अभियान चलाया और देश भर की सारी गौरैया चिड़िया मार दी गई। असल में गौरैया चिड़िया फसल नहीं बल्कि फसल के कीड़े खाती है। गौरैया चिड़िया के मर जाने से फसलों में कीड़ों की संख्या बढ़ गई और चीन में अकाल पड़ गया। अनाज की कमी के कारण चीन में ढाई करोड़ लोगों की मौत हो गई।
तब इतिहास को खंगाला गया और पता चला कि किसान गौरैया चिड़िया का पालन किया करते थे क्योंकि गौरैया चिड़िया कीटनाशक का काम करती है। सन 1960 में चीन में एक और अभियान शुरू हुआ जिसके तहत गौरैया चिड़िया का पालन पोषण किया गया। निष्कर्ष यह है कि, यदि पुरानी चीजों को, पुरानी इतिहास की किताबों को नष्ट कर दिया जाएगा तो भविष्य अनिश्चित हो जाएगा। भारत के संविधान ने सुनिश्चित किया है कि इतिहास का संरक्षण हो ताकि भविष्य सुरक्षित रहे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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