सन 1947 से लेकर अब तक पड़ोसी उपद्रव करता रहता है। भारत एक बार में सारा किस्सा ही खत्म क्यों नहीं कर देता। जब दुनिया के दो शक्तिशाली देश आपस में लड़ते हैं तो भारत युद्ध में शामिल क्यों नहीं होता। भारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान क्यों करता है, मनमानी क्यों नहीं करता। विदेश नीति से संबंधित ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल में मिल जाएंगे, क्योंकि भारत के संविधान में निर्धारित किया है कि भारत को विदेशी मामलों में क्या करना है और क्या नहीं करना है, और सरकार संविधान के दायरे से बाहर नहीं जा सकती।
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 51 की परिभाषा
अनुच्छेद 51 राज्य (भारत) से यह अपेक्षा करता है कि:-
1. वह अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करे।
2. अंतरराज्यीय (राज्यों) के बीच न्याय एवं सम्मानपूर्वक संबंध बनाए रखे।
3. अंतर्राष्ट्रीय विधि एवं सन्धि के प्रति आदर बढ़ाने का कार्य करे।
4. अंतर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता द्वारा प्रोत्साहन देने का प्रयत्न द्वारा निपटारा करे।
इस प्रकार भारत के संविधान का अनुच्छेद 51, भारत सरकार की विदेश नीति का निर्धारण करता है। यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है कि भारत सरकार पूरे विश्व में शांति और सुरक्षा के लिए काम करेगी। अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधि का सम्मान करेगी और जब भी कोई अंतर्राष्ट्रीय विवाद होता है तो उसका निपटारा युद्ध के बजाए मध्यस्थता द्वारा किए जाने का प्रयास करें। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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