एक लीडर तभी ईमानदार कहा जा सकता है जब उसकी टीम कोई बेईमानी ना करें। संविदा सब इंजीनियर हेमा मीणा के मामले में मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन श्री कैलाश मकवाना आईपीएस की ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसा कैसे हो सकता है कि, जिस सब इंजीनियर की शिकायत 2 साल पहले हुई हो वह श्री कैलाश मकवाना की टीम में भी पावर में रही।
हेमा मीणा को सरकार ने पढ़ाया और सरकार को ही चूना लगा दिया
सन 2008 में आरजीपीवी से सिविल इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करने वाली हेमा मीणा मूल रूप से ढकना चपना गांव की रहने वाली है। परिवार सामान्य है और हेमा मीणा की प्राइवेट ट्यूशन कोचिंग का खर्चा उठाने की स्थिति में नहीं था। सरकारी नवोदय विद्यालय में प्रारंभिक पढ़ाई की थी। कुल मिलाकर हेमा मीणा की प्रतिभा के निखार में सरकार का महत्वपूर्ण योगदान रहा और लोकायुक्त के छापे के बाद पता चला कि हेमा मीणा ने मात्र 7 साल की नौकरी में उसी सरकार के खजाने में गड़बड़ी करके 7 करोड रुपए की संपत्ति बना ली।
सिर्फ एक सवाल, कैलाश मकवाना ने मीणा को क्यों नहीं पकड़ा
ऐसा नहीं है कि किसी ने बुधवार को हेमा मीणा की आय से अधिक संपत्ति की शिकायत की और गुरुवार को छापा पड़ गया। 2 साल पहले शिकायत की गई थी। सारे कॉरपोरेशन में पता था कि हेमा मीणा के पास कितना बड़ा बंगला है और उसकी पैतृक संपत्ति कितनी है। डिपार्टमेंट में सब को यह भी पता था कि हेमा मीणा के कनेक्शन कितने स्ट्रांग हैं, इसीलिए तो उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती थी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारतीय पुलिस सेवा मध्यप्रदेश कैडर के सबसे ईमानदार कहे जाने वाले अधिकारी श्री कैलाश मकवाना की मध्य प्रदेश हाउसिंग कारपोरेशन में चेयरमैन के पद पर नियुक्ति होने के बाद भी हेमा मीणा अपने पद पर काम कैसे करती रही। यहां लिखना जरूरी है कि 1 साल पहले श्री कैलाश मकवाना डीजे लोकायुक्त के पद पर कार्यरत थे।
छापे के बाद मकवाना ने मीणा को बर्खास्त कर दिया है परंतु छापे के पहले मकवाना ने मीणा की गड़बड़ी को क्यों नहीं पकड़ा।
पॉलीटिशियंस और ब्यूरोक्रेट्स में मकवाना के नाम की दहशत दौड़ती है
श्री कैलाश मकवाना आईपीएस कितने दबंग और ईमानदार हैं इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी ईमानदारी के कारण ही उन्हें 2 जून 2022 को डीजी लोकायुक्त बनाया गया था, लेकिन जब उन्होंने हर फाइल का नियम अनुसार निपटारा करना शुरू किया तो कई नेताओं और बड़े अफसरों की जड़े हिल गई। लोकायुक्त में मकवाना की स्पीड के कारण कुछ नेताओं का ब्लड प्रेशर बढ़ गया। नतीजा पदस्थापना के 6 महीने के भीतर दिसंबर 2022 में उन्हें पद से हटा दिया गया।
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