केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में ॐ का उच्चारण किया जाता है। कुछ विद्वान इसमें अपनी क्रिएटिविटी शामिल करते हैं और कुछ जैसा शास्त्रों में लिखा है बिल्कुल वैसा ही उच्चारण करते हैं लेकिन सवाल यह है कि ॐ संस्कृत भाषा का एक अक्षर है अथवा पूरा शब्द है और ॐ की उत्पत्ति कहां से हुई थी। आइए जानने की कोशिश करते हैं:-
ॐ क्या है और इसे इतना महत्व क्यों दिया गया है
अब तो वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि ॐ एक ऐसी ध्वनि है जो ब्रह्मांड में सदैव गूंजती रहती है। यदि पहली नजर में देखेंगे तो ॐ एक अक्षर दिखाई देगा परंतु शास्त्रों में उल्लेख है कि ॐ पूरे 5 अक्षरों का योग है। इसमें 'अ, ऊ,ओ, अं और म' कुल 5 अक्षर आते हैं। यदि ऐसा है तो फिर ॐ कुछ शब्द कहा जाना चाहिए परंतु शास्त्रों में उल्लेख है कि ॐ कोई एक शब्द नहीं बल्कि पंचाक्षर मंत्र है। यहां बताना जरूरी है कि मंत्रों में कई शब्दों का संग्रह होता है परंतु यह एकमात्र ऐसा मंत्र है जिसमें मात्र 5 अक्षर हैं और यह ब्रह्मांड का सबसे छोटा लेकिन सबसे शक्तिशाली मंत्र है। शास्त्रों में यह उल्लेख भी है कि, ॐ ही ब्रह्मांड की उत्पत्ति, सृष्टि और संचालन का कारण है। यही कारण है कि पूरे ब्रह्मांड में, सभी भाषाओं में, यहां तक की सभी जीवो के द्वारा किसी ना किसी प्रकार से ॐ का उच्चारण किया ही जाता है।
ॐ की उत्पत्ति कहां से हुई
ऋग्वेद और यजुर्वेद में ॐ का उल्लेख मिलता है। भारत के कई उपनिषदों में ॐ का भरपूर उपयोग देखने को मिलता है। मुंडुकोपनिषद में तो, यह भी स्पष्ट किया गया है कि ब्रह्मांड में जो हमेशा से उपस्थित है और सौर मंडलों के बनने एवं बिगड़ने की करोड़ों वर्ष लंबी प्रक्रिया के बाद भी उपस्थित रहेगा, वह ॐ ही है। मान्यता है कि ॐ की उत्पत्ति भगवान शिव के मुख से हुई है।
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