केंद्रीय कर्मचारी छुट्टियों में अपने परिवार के साथ देश विदेश में पर्यटन पर जाते हैं। लगभग सभी कर्मचारी साल भर में कभी न कभी अपनी छुट्टियां आउट ऑफ स्टेशन यानी मुख्यालय के बाहर किसी स्थान पर बिताना पसंद करते हैं। इसके लिए सरकार की तरफ से कोई रोक-टोक नहीं होती लेकिन कुछ यात्राएं ऐसी होती है जिन पर जाने से पहले सरकारी कर्मचारी को भारत सरकार से अनुमति लेनी होती है।
केंद्रीय कर्मचारी को किस प्रकार के निजी यात्रा पर जाने से पहले अनुमति लेनी होती है
कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 5 अक्टूबर, 2004 के द्वारा सरकारी कर्मचारी को स्टेशन / मुख्यालय छोड़ने के लिए अनुमति लेने सम्बन्धी निर्देश जारी किये गए है। सम्बन्धित विभाग के कार्यालय ज्ञापन संख्या 11013/7/94-स्था. (ए) दिनांक 18 मई, 1994 का सन्दर्भ लिया जा सकता है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी कर्मचारी को स्टेशन / मुख्यालय छोड़ने के लिए विशेष रूप से निजी विदेश यात्राओं के लिए अनुमति लेनी चाहिए।
कर्मचारियों को विदेश यात्रा से पहले अनुमति का नियम क्यों बनाया गया
दिल्ली के उच्च न्यायालय ने 28 मई, 2004 को आपराधिक रिट याचिका संख्या 1004/03 (चंद्र कुमार जैन बनाम भारत संघ) में अपने फैसले में कहा है कि एक सरकारी कर्मचारी जिसने 161 बार विदेश यात्रा की फिर भी किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया। सीमा शुल्क एवं अन्य विभागों ने भी कोई प्रश्न नहीं किया कि एक सरकारी कर्मचारी इतनी ज्यादा (161 बार) विदेश यात्रा क्यों कर रहा है। इसलिए हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह सरकारी कर्मचारियों के विदेशी निजी दौरों पर दिशा-निर्देश तैयार करे।
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