इकोसिस्टम क्या होता है, सरल हिंदी में समझिए इसके गड़बड़ होने से अपन को क्या नुकसान होगा- GK Today

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पारितन्त्र या पारिस्थितिकी तन्त्र जिसे अंग्रेजी में ECOSYSTEM कहते हैं। पिछले कुछ सालों में कुछ वैज्ञानिक और विशेषज्ञों द्वारा इकोसिस्टम को लेकर काफी गंभीर अलर्ट दिए जा रहे हैं। उनका कहना है कि इकोसिस्टम खतरे में है। सवाल यह है कि यह इकोसिस्टम क्या बला है और इसके खतरे में होने से अपन इंसानों को क्या फर्क पड़ता है। दूसरा सवाल है कि यदि एक इकोसिस्टम खत्म हो जाएगा तो क्या अपने महान वैज्ञानिक दूसरा इकोसिस्टम नहीं बना पाएंगे। आइए आज इस सब्जेक्ट हो सरल हिंदी में समझने की कोशिश करते हैं:- 

पारिस्थितिकी तंत्र का मतलब 

वैज्ञानिक कहते हैं कि पारिस्थितिकी तंत्र का मतलब होता है, प्रकृति में सभी जीव जंतुओं की एक दूसरे के ऊपर डिपेंडेंसी। एक चित्र के माध्यम से बच्चों को समझाया जाता है कि छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े, पेड़-पौधों को खाते हैं। चिड़िया, छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों को खा जाती है। कुछ शिकारी पक्षी और जानवर चिड़ियों को खा जाते हैं और शेर जानवरों को खा जाता है। इस प्रकार सभी एक दूसरे पर डिपेंड करते हैं। यदि इनमें से कोई एक खत्म हो जाएगा तो दूसरा भूख से मर जाएगा और इस प्रकार सभी जीव जंतु खत्म हो जाएंगे। इस तरीके से समझना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इस पूरे चक्कर में अपन इंसानों का कोई जिक्र ही नहीं है। चलिए इसे दूसरे तरीके से समझते हैं। 

इकोसिस्टम क्या होता है और इसमें गड़बड़ हो जाने से इंसानों को क्या फर्क पड़ेगा

जैसा कि अपन समझ चुके हैं कि चिड़िया, छोटे-मोटे कीड़े मकोड़ों को खाती है और कीड़े-मकोड़े छोटे-मोटे पौधे एवं खेत में फसलों को खाते हैं। यानी चिड़िया, कीड़े मकोड़ों को खाकर फसलों की रक्षा करती है। सन 1958 में चीन की सरकार को किसी सनकी वैज्ञानिक ने बताया कि, गौरैया चिड़िया फसलों को खा जाती है इसलिए उत्पादन कम हो रहा है। सरकार ने फैसला किया कि, गौरैया चिड़िया को खत्म कर दिया जाए। इनाम घोषित कर दिया गया। सरकारी पुलिस और पब्लिक ने इनाम के लालच में ढूंढ-ढूंढ कर गौरैया चिड़िया को मार डाला। इसके बाद फसलों के उत्पादन में वृद्धि होने के बजाय ऐतिहासिक कमी हो गई। लगातार 2 साल तक चीन में अकाल पड़ा और अनाज की कमी के कारण ढाई करोड़ लोगों की मृत्यु हो गई। 

इसे कहते हैं इकोसिस्टम को डिस्टर्ब करना और इकोसिस्टम से छेड़छाड़ करने का क्या नतीजा होता है, दुनिया में इससे बढ़िया उदाहरण कोई नहीं है। यहां क्लिक करके पूरी कहानी पढ़ सकते।

सरल हिंदी में समझना है तो केवल इतना पर्याप्त होगा कि, इकोसिस्टम को डिस्टर्ब करने का मतलब है पृथ्वी से मनुष्य की प्रजाति को खत्म करना। वैज्ञानिक बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन आज भी सब कुछ नहीं कर सकते। वैज्ञानिक खत्म हुई किसी भी प्रजाति को फिर से जीवित नहीं कर सकते। यहां तक कि वैज्ञानिक पानी का फार्मूला जान लेने के बावजूद अपनी लैब में पानी नहीं बना सकते। वैज्ञानिक से प्रकृति का अध्ययन करके इंसानों के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। नया पर्यावरण और नई प्रकृति नहीं बना सकते। 

इकोसिस्टम के पिता कौन है? 

Eugene Pleasants Odum को पारिस्थितिकी का जनक कहा जाता है। यूजीन प्लेजेंट्स ओडुम (17 सितंबर, 1913 - 10 अगस्त, 2002) जॉर्जिया विश्वविद्यालय में एक अमेरिकी जीवविज्ञानी थे, जो पारिस्थितिक तंत्र, पारिस्थितिकी पर अपने अग्रणी काम के लिए जाने जाते थे। उन्होंने और उनके भाई हॉवर्ड टी. ओडुम ने लोकप्रिय पारिस्थितिकी पाठ्यपुस्तक, फंडामेंटल ऑफ इकोलॉजी (1953) लिखी। उनके सम्मान में ओडुम स्कूल ऑफ इकोलॉजी का नाम रखा गया है।

वह दुनिया के पहले आदमी है जिन्होंने अंग्रेजी भाषा में पृथ्वी के प्राणियों और उनके पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन करके रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत की। इनके अलावा डॉ. रामदेव मिश्र को भारत में पारिस्थितिकी के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 1956 में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर ट्रॉपिकल इकोलॉजी की स्थापना की थी। 

वैसे संस्कृत सहित अन्य कई भाषाओं में कई वैज्ञानिकों ने वर्षों पहले इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया परंतु उन सभी को वैज्ञानिक की मान्यता नहीं दी गई इसलिए उनके अध्ययन को रिकॉर्ड नहीं किया गया। 

इकोसिस्टम के मुख्य घटक क्या है? 

मिट्टी से लेकर सभी पेड़-पौधे, कीड़े-मकोड़े, जीव-जंतु, वायरस-बैक्टीरिया, जानवर और अंत में मनुष्य, यह सभी इकोसिस्टम के मुख्य घटक होते हैं। इन सभी से मिलकर प्रकृति बनती है। यह सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर डिपेंड होते हैं। 

क्या अपना इकोसिस्टम खत्म हो गया तो पृथ्वी नष्ट हो जाएगी 

पृथ्वी पर कई प्रकार की इकोसिस्टम होते हैं। अपना इकोसिस्टम खत्म हो गया तो केवल इस इकोसिस्टम में शामिल सभी घटक (जिनका वर्णन ऊपर दिया गया है) नष्ट हो जाएंगे परंतु पृथ्वी का सबसे बड़ा इकोसिस्टम महासागर पारिस्थितिकी तंत्र है। करोड़ों साल पहले समुद्र में से जीवन की शुरुआत हुई थी। यदि अपना इकोसिस्टम खत्म हो गया तो पृथ्वी नष्ट नहीं होगी। एक लंबी प्रक्रिया के बाद महासागर पारिस्थितिकी तंत्र फिर से कोई लाइफ क्रिएट कर देगा। वह कुछ भी हो सकता है लेकिन इतना पक्का है कि अपने जैसे इंसान नहीं होंगे। क्योंकि करोड़ों साल पहले डायनासोर खत्म हुए फिर उनके जैसे डायनासोर कभी पैदा नहीं हुए। 

इंसान इकोसिस्टम को किस प्रकार से डिस्टर्ब कर रहे हैं 

  • अपने मोबाइल फोन की तरंगों से चिड़िया मर रही है। 
  • चिड़ियों के मर जाने से कीड़े मकोड़ों की संख्या बढ़ रही है। 
  • कीड़े मकोड़े पेड़ पौधे और फसलों को नष्ट कर रहे हैं। 
  • फसलों को उन से बचाने के लिए केमिकल का उपयोग करना पड़ रहा है। 
  • यह केमिकल मिट्टी से होता हुआ जमीन के नीचे पानी में मिल रहा है। 
  • इसके कारण पानी नुकसानदायक होता जा रहा है। 
  • हम और आप तो आरओ प्यूरीफायर लगाकर पानी को कम नुकसानदायक बना लेते हैं परंतु गाय और भैंस वही पानी पीती हैं जिसके कारण उनका दूध नुकसानदायक होता जा रहा है। 
  • वहीं पानी फसलों को दिया जा रहा है जिसके कारण अनाज, सब्जियां और फल दूषित होते जा रहे हैं। 
  • पानी को RO से और दूध को पाश्चुरीकरण करके ठीक कर लेते हैं लेकिन अनाज, सब्जियों और फलों का क्या करेंगे। 
फिलहाल इनमें जहरीले तत्वों की संख्या कम है। जिस दिन बढ़ जाएगी उस दिन आपको पता चलेगा कि एप्पल में भी सायनाइड होता है। जो मरीजों की मौत का कारण बन जाएगा। हम तब भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद नहीं करेंगे बल्कि स्मार्टफोन का यूज करके यह जानने की कोशिश करेंगे कि यदि एप्पल नहीं खा सकते तो फिर क्या खा सकते हैं। एक दिन सारे विकल्प खत्म हो जाएंगे और फिर पृथ्वी पर करोड़ों डेड बॉडी के पास स्मार्टफोन पड़े रह जाएंगे।✒ उपदेश अवस्थी Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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