Amazing facts in Hindi about Thana
लोकल एरिया की सिक्योरिटी के लिए पूरी दुनिया में पुलिस स्टेशन स्थापित किए जाते हैं। सिर्फ भारतवर्ष (भारत और पाकिस्तान) में पुलिस स्टेशन को पुलिस थाना कहा जाता है। सवाल यह है कि, थाना शब्द कहां से आया। इस शब्द का क्या अभिप्राय है। आइए पता लगाते हैं:-
सबसे पहले थाने, सेना के लिए बनाए गए थे
थाना शब्द की उत्पत्ति कब हुई और किस शासनकाल में इसका शासकीय प्रयोग शुरू हुआ, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है परंतु यह जरूर पता चलता है कि, थाना शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के स्थानक शब्द से हुई है। जब भारत में विदेशी हमले बढ़ गए तब कुछ राजाओं ने अपनी सेनाओं की छोटी-छोटी टुकड़िया आम नागरिकों की रक्षा के लिए तैनात की। इस टुकड़ी का जो हेडक्वार्टर था उसे थाना नाम दिया गया। एक आम भवन, अड्डा अथवा स्थान और थाना में पर्याप्त अंतर होता है।
पुलिस थाना क्यों कहते हैं पुलिस कार्यालय क्यों नहीं कहते
थाना में सेना की टुकड़ी केवल विश्राम नहीं करती थी बल्कि यहां और भी बहुत कुछ किया जाता था। थाना में एक हवालात बनाया गया ताकि यदि कोई हमलावर पकड़ा जाए तो उसे राज दरबार में प्रस्तुत करने से पहले कैद करके रखा जा सके। थाना में हथियारों को रखने के लिए किसको रूप भी होता है। इसके अलावा सिपाहियों के विश्राम करने के लिए भी कुछ कक्ष होते हैं। थाना से सिपाहियों की ड्यूटी लगाई जाती थी और निगरानी चौकियों पर तैनात सिपाही की ड्यूटी खत्म होने पर वह वापस थाने आता था। कुल मिलाकर थाना, सेना की एक ऐसी टुकड़ी का रेजिडेंशियल ऑफिस हुआ करता था जहां पर हथियार भी होते थे और दुश्मन के पकड़े जाने पर उसे कैद करके रखा जा सकता था।
भारत में जब अंग्रेजी शासनकाल शुरू हुआ तब उन्होंने इंटरनल सिक्योरिटी के लिए पुलिस का गठन किया और सेना को सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया। हालांकि पुलिस भी सेना के अधिकारियों के अधीन काम करती थी। आजादी के बाद पुलिस डिपार्टमेंट को आर्मी से अलग कर दिया गया। सेना, रक्षा विभाग के अधीन काम करने लगी और पुलिस गृह विभाग मंत्रालय के अधीन काम करती है लेकिन थाने आज भी वैसे के वैसे ही हैं। उनका पूरा सेटअप बिल्कुल वैसा ही है जैसा 500 साल पहले हुआ करता था। आज भी पुलिस चौकी, थाने के अधीन होती है और थाने से पुलिस चौकी के लिए ड्यूटी लगाई जाती है।
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