Indore Neet zee coaching institute review rating
मध्य प्रदेश में इंदौर शहर को एजुकेशन हब कहा जाता है। कहते हैं यदि आप राजस्थान के कोटा नहीं जा सकते तो इंदौर चले जाइए, इसी बात का फायदा उठाकर कुछ कोचिंग संचालक स्टूडेंट्स के साथ खुलेआम ठगी कर रहे हैं। कोई नियामक नहीं होने के कारण, शिकायतों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। सिर्फ उपभोक्ता फोरम है जो फीस वापस दिलवा सकता है और ज्यादा से ज्यादा जुर्माना दिलवा सकता है।स्कॉलरशिप वालों को सबसे पहले शिकार बनाते हैं
लविषा जैन को JEE की तैयारी करवाने वाले इंस्टिट्यूट ने स्कॉलरशिप ऑफर की। परिवार ने पूरा कैंपस देखा। स्मार्ट क्लास से लेकर सारी सुविधाएं थी। घर वालों ने स्कॉलरशिप काटकर बचे ₹108000 जमा करा दिए। 8 दिन बाद लविष जैन का इंस्टिट्यूट चेंज हो गया। उसे रीगल भेज दिया गया। यहां पर स्मार्ट क्लासरूम तो दूर की बात पीने का पानी तक नहीं है।
जिन टीचर्स के लिए फीस जमा कराई, उन्होंने नहीं पढ़ाया
जागृति पाठक को NEET की तैयारी करनी थी। विजय नगर में एक इंस्टिट्यूट ने बताया कि उसके पास इंदौर के सबसे अच्छे सेट ऑफ टीचर्स (जूलॉजी, बॉटनी, फिजिक्स और केमिस्ट्री पढ़ाने वाले टीचर्स) हैं। शिक्षकों के नाम देखकर जागृति पाठक ने एडमिशन ले लिया। पूरे साल की ₹158000 फीस जमा कराई गई और 1 सप्ताह बाद सेट ऑफ टीचर्स बदल दिया गया।
यह धोखाधड़ी है लेकिन पुलिस FIR दर्ज नहीं करती
इस प्रकार के दर्जनों मामले हैं। कोचिंग इंस्टिट्यूट के कारोबार में इससे बड़ी धोखाधड़ी क्या होगी। इंदौर में ज्यादातर बच्चे दूसरे शहरों से पढ़ने के लिए आते हैं। वह अपनी शिकायत भी रिक्वेस्ट की तरह करते हैं और कोचिंग वाले गलती करने के बाद भी आंख दिखाते हुए बात करते हैं। पेरेंट्स एक बार 30 जमा कराने के बाद चले जाते हैं। कभी कोई आता भी है तो हाथ जोड़कर अपने बच्चों का भविष्य बनाने की रिक्वेस्ट करता है। हजार में एक मामला होता है जब कोचिंग वालों को यू-टर्न लेना पड़ता है।
उपभोक्ता फोरम से न्याय नहीं मिल सकता
इस मामले में उपभोक्ता फोरम से न्याय नहीं मिल सकता। बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और न्याय तब मिलेगा जब एडमिशन के समय कोचिंग ने जो वादे किए थे वह पूरे किए जाएं। अपनी पढ़ाई ड्रॉप करके उपभोक्ता फोरम में केस लगाना और फिर फीस वापस प्राप्त कर लेना, न्याय कैसे हो सकता है। जैसे प्रॉपर्टी के मामले में रेरा बिल्डर्स को पाबंद करता है कि वह अपने प्रोजेक्ट समय पर पूरा करें और विज्ञापन में जो भी वादे किए हैं उसे निभाए। उसी प्रकार कोचिंग इंस्टिट्यूट को कंट्रोल करने के लिए भी ऐसे ही किसी नियामक की जरूरत है।
कैसे पता करें इंस्टिट्यूट वाला धोखेबाज तो नहीं
फिलहाल तो सिर्फ एक ही तरीका है। पुराने स्टूडेंट्स, जो कोचिंग छोड़ चुके हैं, उनसे पूछा जाए। इंटरनेट पर रिव्यू रेटिंग पर भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि इंदौर में बहुत सारी कंपनियां पेड रिव्यू रेटिंग उपलब्ध कराती हैं। घटिया कोचिंग को भी फाइवस्टार रेटिंग मिल जाती है। भारत में पूछताछ और पड़ताल का जो सदियों पुराना तरीका है वही सबसे सही है। थोड़ी मुश्किल होती है परंतु सही जानकारी मिल जाती है।
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