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ज्यादातर कार्यपालन यंत्री द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन रोका जाता है परंतु आज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की याचिका पर कार्यपालन यंत्री का वेतन रोक दिया गया। सैलरी स्टॉप का आर्डर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच द्वारा दिया गया।
NVDA के अधिकारी अवमानना याचिका का जवाब तक नहीं देते
गौरतलब है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के दैनिक वेतनभोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ओमप्रकाश और बाबूसिंह ने एडवोकेट मनीष यादव के माध्यम से हाई कोर्ट में NVDA के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। यादव ने बताया कि कोर्ट ने वर्ष 2019-20 में एनवीडीए के दैनिक वेतनभोगी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पांचवें और छठे वेतनमान का लाभ देने का आदेश दिया था। इसके बावजूद जब कर्मचारियों को लाभ नहीं मिला तो अवमानना याचिका दायर हुई। इसमें भी एनवीडीए की तरफ से जवाब नहीं दिया जा रहा है।
दैनिक वेतन भोगियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे
उच्च न्यायालय को बताया गया कि, हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील लगाई थी लेकिन उसकी अपील खारिज हो गई। इससे नाराज हाई कोर्ट ने एनवीडीए के उपसंचालक एसएन मिश्रा और उपसचिव वर्षा सोलंकी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए। कोर्ट ने कार्यपालन यंत्री का वेतन रोकने का आदेश देते हुए टिप्पणी की कि जिन अधिकारियों को गरीब कर्मचारियों का दर्द नहीं दिखता, उनका वेतन रोका जाना चाहिए। सुनवाई के लिए अगली तारीख 18 मई 2023 निर्धारित की गई है।
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