what is section 407 of ipc and punishment in Hindi
इस तरह के विवाद अक्सर सामने आते रहते हैं। ट्रांसपोर्टेशन के दौरान कुछ माल गायब हो जाता है। ड्राइवर खुद को निर्दोष बताता है। ट्रांसपोर्टर और ग्राहक के बीच में विवाद होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि ऐसी स्थिति में ड्राइवर के खिलाफ भी FIR दर्ज करवाई जा सकती है। आइए जानते हैं:-
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 407 की परिभाषा
जो कोई वाहन चालक व्यक्ति (माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाला) या नाविक (जल मार्ग में माल ले जाने वाला) या कोई भण्डार (गोदाम) की देखरेख करने वाला व्यक्ति किसी माल या वस्तु का आपराधिक उद्देश्य से गबन कर लेता है वह व्यक्ति धारा 407 के अंतर्गत दोषी होगा।
IPC की धारा 407 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध समझौता योग्य हो सकते हैं। उसी व्यक्ति से जिसका माल वाहन चालक गबन करके भगा है। यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट को होता है। सजा-इस अपराध के दोषी की सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- वस्तु गबन की तिथि से तीन वर्ष तक इस अपराध की शिकायत थाने में डायरेक्ट कर सकते हैं क्योंकि यह संज्ञेय अपराध है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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