Right to Equal pay for Equal work
भारत में पहले शासकीय कर्मचारी हुआ करते थे परंतु अब कई प्रकार के कर्मचारी शासन के लिए काम करते हैं। कई बार समान कार्य समान वेतन की मांग उठती है। कभी सरकार मान लेती है कभी नहीं मानती। मामले कोर्ट में जाते हैं। कभी कर्मचारी जीत जाते हैं तो कभी सरकार जीत जाती है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है। किस प्रकार के कर्मचारियों को समान कार्य समान वेतन का अधिकार है और किस प्रकार के कर्मचारियों को समान वेतन का अधिकार नहीं है।
is equal pay for equal work the law
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 का अनुच्छेद 39 राज्य शासन को यह निर्देश करता है कि, समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि समान कार्य के लिए समान वेतन का नियम ऐसे मामलों में लागू नहीं होता है जिनमे अस्थायी पदों पर भर्ती की गई हो एवं भर्ती की शर्तें अन्य नियमित पदों पर भर्ती की शर्तों से अलग हो। निष्कर्ष- यदि पद अस्थाई है, भर्ती एवं सेवा की शर्तें अलग है और कार्य की प्रकृति भिन्न है, तब समान वेतन का दावा नहीं किया जा सकता।
कब समान कार्य के लिए समान वेतन का दावा किया जा सकता है जानिए
• सिसिर कुमार मोहन्ती बनाम स्टेट ऑफ उड़ीसा:- मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि समान कार्य के लिए समान वेतन के लिए निम्न योग्यता आवश्यक हैं-
1. नियुक्ति प्रक्रिया एक समान हो।
2. योग्यताएं समान हो।
3. केडर या पद की स्थिति समान हो।
कब समान कार्य के लिए समान वेतन का दावा नहीं किया जा सकता है जानिए
• स्टेट ऑफ़ ओडिसा बनाम बलराम साहू:- मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया है कि अस्थायी कर्मचारी, स्थायी कर्मचारी के समतुल्य वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि स्थायी कर्मचारियों के कर्तव्य और दायित्व, अस्थायी कर्मचारियों से अधिक होते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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