भारतीय संविधान में नागरिकों को संपति का मौलिक अधिकार दिया गया था लेकिन उसे समाप्त कर अब यह मौलिक अधिकार सिर्फ कानूनी अधिकार रह गया है। इसी प्रकार मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिंता की धारा 57 कहती है कि प्रदेश की समस्त भूमि पर सरकार का अधिकार होगा। यानी सरकार को जब जरूरत होगी, वह किसी भी व्यक्ति की निजी जमीन का उपयोग कर सकती है। इसके बदले में सरकार भूमि स्वामी को प्रतिकर अदा करती है। अब प्रश्न है कि यदि सरकार प्रतकर अदा ना करें, तो क्या भूमि स्वामी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ले सकता है:-
कल्यानी (मृत) वि.प्र. के माध्यम से और अन्य बनाम सुल्तान बेथरी म्यूनिसिपल्टी और अन्य (अपील क्रमांक 4125 निर्णय वर्ष 2022):- उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा अभिनिर्धारित किया गया कि अगर किसी व्यक्ति की भूमि को सरकार निर्माण कार्य में लेती है और उस व्यक्ति को प्रतिकर के रूप में उचित राशि नहीं देती है। तब यह उस व्यक्ति का अनुच्छेद 21 (जीवन जीने की स्वतंत्रता) मौलिक अधिकार एवं अनुच्छेद 300क (संपत्ति का कानूनी अधिकार) का उल्लंघन होगा।
उक्त निर्णय का सार यह है कि सरकार बिना प्रतिकर दिए किसी भी व्यक्ति को उसकी भूमि से बेदखल नहीं कर सकती है अगर ऐसा करती है तो यह आम नागरिकों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा एवं इसके लिए आम व्यक्ति डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 32 के अंतर्गत मदद मांग सकते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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