Madhya Pradesh Government employees news
मध्यप्रदेश में प्रतिवर्ष अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति और नवीन शिक्षा सत्र में फिर से भर्ती प्रक्रिया को हाईकोर्ट ने अनुचित माना है। हाईकोर्ट ने ऐसी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करते हुए निर्देशित किया कि, जब तक नियमित शिक्षकों की भर्ती नहीं हो जाती तब तक अतिथि शिक्षकों को सेवा से पृथक नहीं किया जाए।
अतिथि व्यायाम शिक्षक शुभम सिंह परिहार एवम अन्य का मामला
अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने बताया कि, आयुक्त जनजातीय विभाग द्वारा जारी विज्ञापन दिनांक 26/05/22 के परिपालन में, जिला स्तरीय चयन समिति द्वारा अर्हता के आधार पर चयनित होकर एकलव्य आवासीय विद्यालयों में पीजीटी एवम टीजटी, पीटीआई (व्यायाम शिक्षक) पद विरुद्ध, शुभम सिंह परिहार एवम अन्य अतिथि शिक्षक के रूप में, शैक्षणिक सत्र 22-23 के लिए कार्य कर रहे थे। पीटीआई पद के विरुद्ध, नवोदय एवम केंद्रीय विद्यालय की अतिथि शिक्षकों की प्रतीक्षा सूची से अतिथि शिक्षक (पीटीआई) नियुक्त किए गए थे।
बिना किसी गलती के सेवा मुक्त नहीं कर सकते
दिनांक 31/3/23 को आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग एवम सचिव ट्रायबल वेलफेयर रेसीडेंसियल सोसाइटी द्वारा, अतिथि शिक्षकों की भर्ती हेतु नवीन निर्देश एवम विज्ञापन जारी किए गए। नवीन निर्देशों के कारण एकलव्य विद्यालयों में सेवारत अतिथि सेवा मुक्त हो रहे थे। प्रत्येक वर्ष शैक्षणिक सत्र की समाप्ति पर, अतिथि शिक्षकों को चयन प्रक्रिया का सामना करना पड़ा है। आदेश दिनांक 31/3/23 के अनुसार, एकलव्य आवासीय विद्यालय के अतिथि शिक्षकों को पुनः चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए बाध्य किया जा रहा था, या फेल कर दिया गया है।
अतिथि शिक्षक के स्थान पर अतिथि शिक्षक की भर्ती नहीं कर सकते
पीड़ित अतिथि शिक्षकों ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष दायर कर नवीन निर्देशों को चुनौती दी थी। अतिथि शिक्षकों की ओर से उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली युगल पीठ के समक्ष तर्क रखते हुए बताया कि, जनजातीय कार्य विभाग का आदेश दिनांक 30/3/23, इस स्थापित विधि के विरुद्ध है कि जब तक नियमित भर्ती नही की जाए, अतिथि शिक्षकों के एक समूह को दूसरे समूह से प्रतिस्थापित नही किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में जब तक नियमित शिक्षकों की भर्ती नही हो, अथिति शिक्षकों के स्थान पर, दूसरे अतिथि शिक्षक की भर्ती नही की जावे।
अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्को से सहमत होकर, उच्च न्यायालय जबलपुर ने सुभम सिंह परिहार एवम अन्य अतिथि शिक्षकों के पक्ष में आदेश जारी करते हुए, जनजातीय कार्य विभाग एवं प्रतिवादियों को निर्देश दिए हैं, कि जब तक नियमित शिक्षको की भर्ती उन विद्यालयो में नही होती, अतिथि शिक्षक सेवा से पृथक नही किए जाएं।
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