Madhya Pradesh Chunav politics news
मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 2018 से लगातार समाचारों का केंद्र बिंदु बने हुए हैं। इन दिनों की कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। खबर है कि भारतीय जनता पार्टी में सिंधिया के भविष्य को लेकर एक खास रणनीति बनाई गई है। तय किया गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी में यथा योग्य महत्व दिया जाएगा लेकिन उनके समर्थकों से इस बार राम-राम कर ली जाएगी, क्योंकि पिछले 3 सालों में सिंधिया समर्थकों की भाजपा में उपयोगिता साबित नहीं हो पाई है।
सीएम हाउस में रात 2:00 बजे तक मीटिंग
बुधवार की रात केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और राष्ट्रीय महासचिव श्री कैलाश विजयवर्गीय भोपाल में सीएम हाउस पहुंचे। प्रदेश संगठन महामंत्री श्री हितानंद शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णु दत्त शर्मा को भी बुलाया गया। खबर है कि रात 2:00 बजे तक मीटिंग चलती रही। उसके बाद फिर तोमर और श्री विजयवर्गीय ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी। इस मीटिंग का एजेंडा था, लगभग आधे मध्यप्रदेश में सिंधिया समर्थकों के कारण भारतीय जनता पार्टी के भीतर पैदा हो रही कलह को कैसे खत्म किया जाए।
सिंधिया का स्वागत समर्थकों को राम-राम का तात्पर्य
तय किया गया है कि, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अधिक महत्व दिया जाएगा। उन्हें सरकार और संगठन के लिए ज्यादा से ज्यादा काम दिया जाएगा लेकिन मध्यप्रदेश में उनके समर्थकों को कोई महत्व नहीं दिया जाएगा। श्री तुलसीराम सिलावट और श्री गोविंद सिंह राजपूत से लेकर विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से टिकट के दावेदारों को किनारे कर दिया जाएगा। विधानसभा चुनाव में टिकट का वितरण कोठे के आधार पर नहीं बल्कि पार्टी की अपनी रणनीति के आधार पर होगा। जरूरत पड़ी तो कड़ा संदेश देने के लिए सिंधिया समर्थक मंत्रियों में से कुछ को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश में संगठन को बचाने ऑपरेशन राम-राम जरूरी है
किसी पेड़ के नीचे मीटिंग से लेकर लग्जरी एयर कंडीशनर तक लगातार पार्टी के साथ बने राजधानी के एक बड़े भारतीय जनता पार्टी नेता का कहना है कि मध्यप्रदेश में यदि संगठन को बचाना है तो ऑपरेशन राम-राम बहुत जरूरी है। यदि ऐसा नहीं किया तो भाजपा का जमीनी कार्यकर्ता रूठ जाएगा और ऐसी स्थिति न केवल विधानसभा बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए भी हानिकारक साबित होगी।
वैसे भी भाजपा में यह मान्यता है कि, दूसरी पार्टियों से आए हुए लोग उनके संस्कारों को आत्मसात नहीं करते। मध्यप्रदेश की भाजपा में कांग्रेस की मिलावट हो गई है। लोगों ने भाजपा की सदस्यता तो ग्रहण कर ली परंतु उनकी राजनीति करने का तरीका आज भी कांग्रेसी है। मध्य प्रदेश में भाजपा पहले से ही काफी मजबूत है। उसे किसी दूसरी पार्टी के गठबंधन या नेताओं की जरूरत नहीं है। श्री महेंद्र सिंह सिसोदिया से लेकर इमरती देवी जैसे नेता हमेशा गुटबाजी को बढ़ावा देते रहेंगे। यह कभी भी संगठन में शामिल नहीं हो सकते।
वैसे राजनीति में कुछ भी कंफर्म और परमानेंट नहीं होता, लेकिन सूत्रों का दावा है कि फिलहाल यही रणनीति बनी है और यदि किसी के उसूलों पर आंच नहीं आई तो इसी रणनीति पर काम किया जाएगा। ✒ उपदेश अवस्थी
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