Madhya Pradesh OBC reservation Supreme Court news
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन ओबीसी आरक्षण से संबंधित 67 याचिकाओं की सुनवाई के लिए निष्पक्ष बेंच के गठन हेतु ओबीसी एससी एसटी एकता मंच की ओर से हाई कोर्ट जबलपुर में आवेदन दाखिल किया गया था। उक्त आवेदन की विस्तृत सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिनांक 20 मार्च 2023 को, यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि निष्पक्ष बेंच की मांग करने हेतु दाखिल आवेदन में ओबीसी आरक्षण की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों के विरुद्ध कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं है।
हाईकोर्ट के इस आदेश से व्यथित होकर ओबीसी एससी एसटी एकता मंच की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के सहयोग से विशेष अनुमति याचिका क्रमांक 9682/2023 दाखिल की गई। इस याचिका की आज न्यायमूर्ति श्री राम सुब्रमण्यम एवं न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई।
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ केएस चौहान तथा अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर, श्री विनायक प्रसाद साह एवं श्री उदय कुमार ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के आर्टिकल 26(3) तथा प्रिवीकाउंसिल ऑफ हाउस ऑफ लॉर्ड के फैसलों का हवाला देते हुए, सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, जिस कम्युनिटी का हित याचिका में निर्णय के अधीन है उस कम्युनिटी के व्यक्ति प्रकरण में न्यायाधीश नहीं हो सकते तथा प्राकृतिक न्याय का यह प्रतिस्थापित सिद्धांत है कि कोई भी व्यक्ति स्वयं के मामले में न्यायधीश नहीं हो सकता है। इस प्रकरण में सामान्य एवं ओबीसी जाति वर्ग का हित निहित है।
अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के पश्चात जस्टिस वी सुब्रमण्यम ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सिद्धांत तो हमारे ऊपर भी लागू होता है, इसलिए बेहतर होगा कि इस प्रकार की आगामी सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद किसी अन्य बेंच के समक्ष दिनांक 3 जुलाई 2023 को की जाए। यह उल्लेखनीय है कि जस्टिस वी सुब्रमण्यम दिनांक 29 जून 2023 को रिटायर हो रहे हैं।
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