जबलपुर। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक रायसेन जिले में स्थित सांची यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत की गई। न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल एवं श्री प्रेम नारायण सिंह की खंडपीठ ने नोटिस जारी करके 12 जून तक जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
सांची यूनिवर्सिटी प्रोफेसर भर्ती विवाद क्या है
सिवनी के अधिवक्ता विकास वासनिक ने याचिका दायर कर बताया कि बौद्ध धर्म की शिक्षा पर रिसर्च के उद्देश्य से वर्ष 2012 में सांची विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार सिंह ने दलील दी विवि में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के 89 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इसके लिए आनलाइन आवेदन बुलाए गए हैं। विवि प्रशासन ने अपनों को उपकृत करने के उद्देश्य से विभिन्न विषयों की नामपद्धति में बदलाव कर दिया है जिससे उक्त विषयों के अनुक्रम बदल गए।
इसके अलावा यूजीसी व राज्य शासन के स्पष्ट आदेश हैं कि एससी, एसटी व ओबीसी के बैकलाग पदों को भरा जाए। वे पद नहीं भरे गए और कुछ पद समाप्त कर दिए गए हैं। कुल आरक्षण भी 13 फीसदी से अधिक हो रहा है। इसके अलावा प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के पद में दिव्यांगों के लिए आरक्षण का प्रविधान नहीं रखा गया है।
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