मध्य प्रदेश में हुए दिव्यांग शिक्षक भर्ती घोटाले में जांच का अभिनय किया जा रहा है। आरोप स्वास्थ्य विभाग पर लगा है और जवाब लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा दिया गया। दिव्यांगता प्रमाणित करने वाले जिन मेडिकल सर्टिफिकेट पर सवाल उठाए गए हैं वह हजीरा ग्वालियर से बनाए गए हैं और जांच मुरैना में हो रही है।
दिव्यांग शिक्षक भर्ती घोटाले में मुरैना कलेक्टर ने क्या किया है
मुरैना जिले के कलेक्टर श्री अंकित अस्थान अपने जिले का रिकॉर्ड चेक करने के अलावा ग्वालियर, भिंड और श्योपुर जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र भेजकर 3 दिन में जांच करने के लिए कहा है। मुरैना कलेक्टर ने अपने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से रिकॉर्ड मांगा है कि कुल कितने लोगों के दिव्यांगता वाले मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए गए जो शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए।
किस बात की जांच करनी है और कहां करनी है
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह स्पष्ट करना है कि किस बात की जांच करनी है और कहां करनी है। हमने अपने समाचारों में स्पष्ट कहा है कि दिव्यांगता वाले मेडिकल सर्टिफिकेट सबसे ज्यादा संख्या में हजीरा ग्वालियर से बनाए गए और सबसे ज्यादा कैंडीडेट्स मुरैना जिले की है। यह जानकारी भी दी गई कि 750 में से 400 कैंडीडेट्स के मेडिकल सर्टिफिकेट संदिग्ध हैं। यह बहुत बड़ा नंबर नहीं है। लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त को केवल इतना करना है कि जो 750 कैंडीडेट्स दिव्या नेता कोटे में भर्ती हुए हैं सबका भोपाल में एक स्पेशल मेडिकल बोर्ड से चेकअप करा दिया जाए। जिस डॉक्टर के हस्ताक्षर से गड़बड़ मेडिकल सर्टिफिकेट पाए जाएं उसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दी जाए। एक कमिश्नर, एक कलेक्टर, कुछ सीएमएचओ मिलकर सरल सी जांच को कोई जाते हुए से दिखाई दे रहे हैं।
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