पश्चिम के आवारा बादल जिन्हें अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बरसना था, ज्यादा से ज्यादा भारत के हरियाणा तक आना था, अपनी मस्ती में चूर मध्य प्रदेश तक पहुंच गए और कई दिनों तक ग्वालियर के आसमान पर छाए रहे। कई मामलों में इन बादलों के कारण नुकसान हुआ परंतु ग्वालियर के लिए एक बड़ा फायदा हुआ। इनके आसमान में उपस्थित होने मात्र से तिघरा बांध का वाटर लेवल 6 MCFT कम होने से बच गया।
ग्वालियर को 183 दिन पानी सप्लाई किया जा सकता है
तिघरा बांध की देखभाल करने वाले अधिकारियों का कहना है कि, वर्तमान में तिघरा बांध में 728 फीट यानी 2410 एमसीएफटी पानी है। यानी ग्वालियर को 183 दिन पानी सप्लाई किया जा सकता है। शहर में प्रतिदिन 11.45 एमसीएफटी पानी की सप्लाई हो रही है। इस हिसाब से 238 एमसीएफटी डेड स्टोरेज व 140 एमसीएफटी सुरक्षित पानी सहित 378 एमसीएफटी पानी को छोड़कर 2032 एमसीएफटी पानी शेष बचा हुआ है। इससे 177 दिनों तक शहर में पानी की सप्लाई की जा सकती है। वहीं तिघरा में पानी भरे होने की मात्रा 51 प्रतिशत है।
बादलों के कारण तिघरा बांध से पानी का वाष्पीकरण नहीं हुआ
हालांकि तिघरा बांध में पूर्व में वाष्पीकरण व लीकेज से प्रतिदिन 2 एमसीएफटी पानी बर्बाद होता है, लेकिन बीते 30 दिन से मौसम में आए बदलाव के चलते वाष्पीकरण नहीं होने से अब तक 6 दिन का पानी बचाया जा चुका है। गर्मी अधिक पड़ने से शहर में पानी की सप्लाई अधिक होती है और वाष्पीकरण भी अधिक होता है। तिघरा बांध से पानी तिघरा, मोतीझील के पुराने व नए प्लांट और जलालपुर स्थित 160 एमएलडी प्लांट पर पहुंचाया जा रहा है।
जहां से पानी फिल्टर होकर नगर निगम के तीन विधानसभा क्षेत्रों में मौजूद 90 टंकियों में पहुंच रहा है। उधर नगर निगम के रिकार्ड में तीन लाख 15 हजार संपत्तियां दर्ज हैं, लेकिन नल कनेक्शन सिर्फ एक लाख 56 हजार लोगों ने ही ले रखे हैं। बाकी संपत्तियों पर अवैध रूप से कनेक्शन लेकर लोग पानी का प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि निगम व पीएचई विभाग अवैध कनेक्शन को रोकने के लिए तमाम कोशिश कर चुका है पर वह आज तक सफल नहीं हुआ है।
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