मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत एक अधिकारी के गोपनीय प्रतिवेदन गुम हो जाने के प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता (The Code of Civil Procedure (CPC) के तहत मामले में जांच शुरु कर उच्च शिक्षा आयुक्त से रिपोर्ट तलब की है।
RTI में ये जानकारी मांगी थी
उच्च शिक्षा विभाग रीवा में कार्यरत डॉ अमित शुक्ला ने वर्ष 1993, 2012, 2018 की अपने स्वयं की गोपनीय प्रतिवेदन कॉपी उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय संचालक रीवा के कार्यालय से RTI के तहत मांगी तो उन्हे बताया गया कि कॉपी रीवा कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। जबकि नियम अनुरूप गोपनीय प्रतिवेदन की एक प्रति क्षेत्रीय संचालक कार्यालय में मौजूद रहती है और उसकी दूसरी कॉपी कार्रवाई के लिए उच्च शिक्षा विभाग भोपाल भेजी जाती है।
दोनो कार्यालय में से गायब हो गए दस्तावेज
रीवा उच्च शिक्षा विभाग कार्यालय में अमित शुक्ला की आवेदन को आगे कार्रवाई के लिए उच्च शिक्षा विभाग भोपाल भेज दिया इसके बाद भोपाल उच्च शिक्षा विभाग कार्यालय में दस्तावेजों के लिए जांच शुरू हुई तो मालूम पड़ा कि जो गोपनीय प्रतिवेदन का फोल्डर है उसमें वहां यह दस्तावेज ही उपलब्ध ही नहीं है। विभाग के पास इस बात का कोई जवाब नहीं कि वह दस्तावेज कहां गए। भोपाल कार्यालय के जवाब से डॉ अमित शुक्ला बेहद परेशान हो गए क्योंकि गोपनीय प्रतिवेदन के गुम हो जाने पर अब उनके प्रमोशन और बाद में रिटायरमेंट के समय भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। डॉ अमित शुक्ला ने राज्य सूचना आयोग में अपील दायर करके मदद की गुहार लगाई। सूचना आयुक्त राहुल सिंह है इस अपील की सुनवाई को गंभीरता से लेते हुए उच्च शिक्षा विभाग भोपाल एवं रीवा से सभी दस्तावेज तलब किए हैं।
ऑनलाइन रिपोर्ट भी हुई गायब
आयोग में सुनवाई के दौरान डॉ शुक्ला ने बताया कि आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग भोपाल ने 1993 और 2012 के गोपनीय प्रतिवेदन की सत्यापित प्रति को यह कहकर नहीं दिया गया कि यह उपलब्ध नहीं है। यह दोनों प्रतिवेदन ऑफलाइन दर्ज हुई थी। वही 2018 का गोपनीय प्रतिवेदन के बारे मे बताया की ये अभी प्राप्त नहीं हुआ है. जबकि वर्ष 2018 का गोपनीय प्रतिवेदन आनलाइन दिया गया है। जिसके प्राप्त होने की सूचना मोबाइल में प्राप्त हुई कि यह आयुक्त उच्च शिक्षा कार्यालय भोपाल में रिसीव हुआ है। अब सूचना आयुक्त सिंह इस इस बारे में उच्च शिक्षा विभाग से सवाल किया है कि ऑनलाइन जानकारी जिसकी पावती मौजूद है वह भी कैसे गायब हो गई।
रीवा कार्यालय ने भोपाल कार्यालय पर डाली जवाबदेही
आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण में सबसे पहले रीवा उच्च शिक्षा विभाग कार्यालय के अधिकारियों को तलब किया क्योंकि 1993 और 2012 की गोपनीय प्रतिवेदन पहले इसी कार्यालय में जमा किया गया था। डॉ० एस. यू खान, तत्कालीन क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा रीवा द्वारा आयोग को सूचित किया गया कि क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा रीवा, प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारियों के गोपनीय चरित्रावली का मात्र समीक्षक अधिकारी होता है। चरित्रावली को आयुक्त, उच्च शिक्षा सतपुड़ा भवन भोपाल को भेज दिया जाता है जो इसका स्वीकृत कर्ता अधिकारी होता है स्वीकृत होने के पश्चात ही गोपनीय चरित्रावली पूर्ण कहलाती है।
प्रथम श्रेणी राजपत्रित अधिकारियों के गोपनीय चरित्रावली के संधारण का अधिकार आयुक्त, उच्च शिक्षा सतपुड़ा भवन भोपाल को है. क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा रीवा को नहीं है। इसलिए गोपनीय चरित्रावली की छायाप्रति आयुक्त उच्च शिक्षा भोपाल से ही प्राप्त की जा सकती है।
सिंह ने कहा गुम हुए दस्तावेजों की जवाबदेही ना होना गंभीर है
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि इस में उच्च शिक्षा विभाग भोपाल एवं रीवा दोनों के अधिकारियों ने बेहद असंवेदनशील रवैया अपनाया हुआ है। सिंह ने कहा कि अधिकारियों ने स्पष्ट नहीं किया गया कि गोपनीय प्रतिवेदन क्यों उपलब्ध नहीं है। क्या ये प्रतिवेदन क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा विभाग रीवा से प्राप्त ही नहीं हुआ या फिर प्राप्त होने के पश्चात भोपाल में उच्च शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते ये गोपनीय प्रतिवेदन गोपनीय फोल्डर से गायब हो गये।
यहां प्रथम दृष्टया रिकार्ड मेंटनेंस में संबंधित कर्मचारी / अधिकारी की लापरवाही परिलक्षित होती है पर इसके बावजूद प्रकरण संज्ञान में आने के बाद भी रिकार्ड के रखरखाव हेतु जवाबदेह अधिकारी / कर्मचारी के विरूध्द कार्यालय आयुक्त, उच्च शिक्षा सतपुड़ा भवन, भोपाल द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। सूचना आयुक्त ने कहा कि अगर गोपनीय प्रतिवेदन विभाग से चोरी हो गए हैं तो पुलिस में एफ आई आर दर्ज करानी चाहिए थी। अगर लापरवाही से गुम हुए हैं तो संबंधित दोषी व्यक्ति के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए थी। सिंह ने आदेश में कहा कि सरकारी कार्यालय से रिकार्ड का यों गुम जाना और उसकी जबावदेही सुनिश्चित न होना गंभीर विषय है।
आयोग ने गुम हुए दस्तावेजों पर जांच बैठाई
सूचना आयोग ने गुम हो गए गोपनीय प्रतिवेदन की सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 18 (3) में सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत जांच शुरू कर दी। सूचना आयुक्त सिंह ने लोक प्राधिकारी कार्यालय - आयुक्त, उच्च शिक्षा सतपुड़ा भवन, भोपाल को आदेशित किया है कि वे डॉ शुक्ला द्वारा चाहे गये गोपनीय प्रतिवेदन क्यों उपलब्ध नहीं है उसका सुस्पष्ट कारण आयोग के समक्ष 28 मई तक पेश करे।
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