देश के जनजातीय कार्य विभाग में विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है। इस योजना के तहत ट्राइबल के स्टूडेंट्स को विदेश में अध्ययन के लिए भेजा जाता है। डिपार्टमेंट ने विधानसभा में जिन विद्यार्थियों को विदेश भेजना बताया, उनमें से एक छात्रा को विदेश भेजा ही नहीं गया। सवाल यह है कि, फिर उसके स्थान पर किसी भी देश भेज दिया गया।
छात्रा का नाम ग्लोरिना अंथोनी है, महू इंदौर में रहती है
योजनाओं के लाभ की धनराशि किसी और के खाते में ट्रांसफर करने के मामले मध्यप्रदेश में अक्सर सामने आते रहते हैं। यहां तो कर्मचारियों की जानकारी और मर्जी के बिना उनके जीपीएफ से जमा धन का आहरण हो जाता है। ऐसा ही कुछ जनजातीय कार्य विभाग में हुआ है। छात्रा का नाम ग्लोरिना अंथोनी है और वह महू इंदौर में रहती है। उसने विदेश अध्ययन के लिए आवेदन किया था परंतु उसे मौखिक रूप से बताया गया कि उसकी एप्लीकेशन रिजेक्ट हो गई है। एप्लीकेशन का कोई रिटन रिप्लाई नहीं दिया गया।
उसके स्थान पर किसी विदेश भेजा गया
विधानसभा में जब विभाग का प्रशासकीय प्रतिवेदन प्रकाशित किया गया तो उसमें छात्रा को लाभार्थी बताया गया। यानी विभाग की योजना के अनुसार छात्रा को विदेश भेजा गया है। जबकि छात्रा भारत में है। प्रमुख सचिव श्री मनीष रस्तोगी का कहना है कि, हम मामले की पड़ताल करवा रहे हैं, यदि छात्र योजना के लिए पात्र है तो उसे लाभ अवश्य दिया जाएगा। लेकिन यहां सवाल तो यह है कि जब छात्रा को लाभ नहीं दिया गया तो उसका नाम और फोटो लाभार्थियों की लिस्ट में कैसे शामिल हो गया। उसके स्थान पर किसे लाभ दिया गया। उसके स्थान पर किसी विदेश भेजा गया।
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