Madhya Pradesh government school teachers recruitment dispute
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग, भोपाल द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल, अभ्यर्थियों की स्कूल शिक्षा विभाग एवम जनजातीय कार्य विभाग मे शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु संयुक्त काउंसलिंग आयोजित की गई थी। परंतु, कुछ अभ्यर्थियों को दिए गए विकल्प के विपरीत जनजातीय कार्य विभाग के विद्यालय आबंटित किए गए हैं।
सीट एलॉटमेंट के मामलो में आरक्षण
बड़ी संख्या में, मेरिट के आधार पर, आरक्षित श्रेणी (एसटी, एस सी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस) के अभ्यर्थियों को, अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है। उच्चतम न्यायालय दिल्ली के अनुसार, जो रिजर्व्ड श्रेणी के अभ्यर्थी, मेरिट के आधार पर, यू आर में रखे गए हैं, उन्हे आरक्षित श्रेणी के उनसे कम अंक प्राप्त अभ्यार्थियों की तुलना में घाटे या हानि स्थिति में नही रखा जा सकता है। सेवा चयन, पोस्टिंग या सीट एलॉटमेंट के मामलो में उनका आरक्षण का लाभ समाप्त नही होगा।
अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए
यदि, इसे शिक्षक भर्ती से जोड़कर देखें तो स्पष्ट है कि यदि, आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी, अनारक्षित श्रेणी में नही रखे जाते एवम आरक्षण का लाभ प्राप्त करते तो, अपने चॉइस के स्कूल या विभाग में नियुक्ति प्राप्त करने के ज्यादा अवसर उनके पास होते। यहां भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार चॉइस फिलिंग के मामले में, एसटी, एससी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस का अधिकार सुरक्षित रहना चाहिए।
लेखक श्री अमित चतुर्वेदी, पेशे से अधिवक्ता है एवं मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में कर्मचारी मामलों की प्रैक्टिस करते हैं।
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