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मध्य प्रदेश के सरकारी सिस्टम में अधिकारी से जीतना काफी मुश्किल है। जनपद पंचायत के सीईओ के दौरे की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई थी। आवेदक को राज्य सूचना आयोग तक आना पड़ा। राज्य सूचना आयुक्त के सामने झूठ बोल दिया गया। आवेदन को लापता बता दिया गया। राज्य सूचना आयुक्त पीछे पड़े तो, आवेदन तो मिल गया लेकिन दूसरे सूचना अधिकारी ने बताया कि रिकॉर्ड गायब है। कुल मिलाकर जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। जिस सूचना अधिकारी ने राज्य सूचना आयोग को गुमराह किया था, उसके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
जानकारी छुपाने के लिए आयोग के सामने झूठ बोला
दरअसल राज्य सूचना आयोग ने सिंगरौली के आरटीआई आवेदक रावेन्द्र कुमार परिहार को निर्धारित 30 दिन के समय सीमा में जानकारी नहीं देने पर विद्याकांत पांडे के विरुद्ध ₹25000 जुर्माने का शो कॉज नोटिस जारी किया था। पर उस समय सिंह के सामने सुनवाई के दौरान विद्याकांत पांडे ने आयोग को गुमराह करते हुए यह कह दिया कि आरटीआई आवेदन उनके कार्यालय में आया ही नहीं था। विद्याकांत पांडे ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को दोषी ठहराया कि उन्होंने आरटीआई आवेदन की डाक घुमा दी होगी।
MPSIC ने सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत जांच शुरू की
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले की तह में जाने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत जांच शुरू कर दी। इस जाँच में कार्यालय में आरटीआई की डाक को डील करने वाले बाबू से लेकर अन्य अधिकारियों से भी पूछताछ की गई। राहुल सिंह ने कहा कि डाक से RTI आवेदन भेजा गया है तो अगर आरटीआई आवेदन कार्यालय में डिलीवर होने के बाद संबंधित अधिकारी तक नहीं पहुंचा है तो इसके लिए नीचे के कर्मचारी दोषी हैं। सिंह ने कार्यालय में डाक और फाइल मूवमेंट के दस्तावेज भी भोपाल के आयोग कार्यालय तलब किए गए।
सिंह की कार्रवाई का नोटिस मिलने के बाद जनपद कार्यालय देवसर सिंगरौली में हड़कंप मच गया। आयोग की जाँच में सबसे पहले खुलासा जनपद पंचायत की शाखा की प्रभारी श्रीमती तुलसा मिश्रा ने किया। तुलसा मिश्रा ने राहुल सिंह के सामने वह फाइल रख दी जिसमें आरटीआई आवेदन कार्यालय में आना दर्ज बताया गया था। यही नहीं और साथ ही उन्होंने वह फाइल भी रख दी जिसमें उस आरटीआई आवेदन को आरटीआई शाखा के बाबू दशरथ बैगा को भेजना बताया गया था और RTI आवेदन प्राप्त करने के बाद इस फाइल में बैगा के हस्ताक्षर भी है।
इसके बाद सिंह ने दशरथ बैगा को भी आयोग के कार्यालय में तलब कर लिया। बैगा ने सिंह को बताया कि आरटीआई आवेदन को विद्याकांत पांडे के सामने रखा गया था। वही देवसर सिंगरौली जनपद पंचायत के वर्तमान लोक सूचना अधिकारी राजेंद्र द्विवेदी से भी सिंह ने पूछताछ की। देवी देवी सिंह को बताया कि जिस आरटीआई आवेदन की तलाश की जा रही है वह कार्यालय की फाइल में ही मौजूद है। द्विवेदी ने सिंह को यह भी बताया कि पूर्व लोक सूचना अधिकारी विद्याकांत पांडे ने आरटीआई आवेदन की फाइल पर कोई भी कार्रवाई नहीं की थी।
आवेदन मिला तो रिकॉर्ड गुम हो गया
आरटीआई आवेदक राजेंद्र द्विवेदी ने देवसर जनपद पंचायत के सीईओ टूर भ्रमण और गाड़ी के लॉग बुक की जानकारी मांगी थी। आरटीआई शाखा के बाबू श्री दशरथ बेगा ने मौखिक तौर पर आयोग को बताया की जानकारी सीईओ साहब की थी इसीलिए आरटीआई आवेदन पर कार्रवाई नहीं की गई थी। वर्तमान लोक सूचना अधिकारी ने आयोग को सूचित किया की मांगी गई जानकारी का रिकॉर्ड कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। कुल मिलाकर इतनी सारी कवायद के बावजूद, जानकारी नहीं दी गई है।
सिर्फ एक अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही की तैयारी
₹25000 जुर्माने के लिए कारण बताओ नोटिस के संबंध में जवाब प्रस्तुत करने हेतु विद्याकांत पांडे को अंतिम मौका देते हुए व्यक्तिगत सुनवाई के लिये 13 जून राज्य सूचना आयोग भोपाल में उपस्थित होने का आदेश दिया है। पांडे वर्तमान में खंड पंचायत अधिकारी जनपद पंचायत त्योंथर रीवा में पदस्थ है। सिंह ने स्पष्ट किया है कि पांडे के विरुद्ध आरटीआई आवेदन में जानकारी छुपाने के लिए तो जुर्माना लगेगा ही साथ में आयोग झूठ बोलकर गुमराह करने के लिए अनुशासनिक कार्रवाई भी की जाएगी।
विद्याकांत पांडे का झूठ पकड़े जाने के बाद सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सिंह ने कहा कि विद्याकांत पांडे ने जानबूझकर के गलत जानकारी आयोग के सामने देखकर ना केवल आयोग को गुमराह करने की कोशिश की बल्कि अपीलीय प्रक्रिया को बाधित करने की भी कोशिश की है।
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