Government employees law and rules
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आज के कर्मचारियों के सामान्य स्थानांतरण की अनुमति दे दी गई है। बड़ी संख्या में स्थानांतरण की स्थिति में कुछ विवाद भी उपस्थित हो जाते हैं। नियम कानूनों की जानकारी नहीं होने के कारण कुछ कर्मचारी अनावश्यक ही अपने स्थानांतरण के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका लगा देते हैं और कुछ कर्मचारी इसी जानकारी के अभाव में अनुचित को अपना भाग्य मानकर स्थानांतरण स्वीकार कर लेते हैं। कर्मचारियों की सुविधा के लिए हाईकोर्ट में कर्मचारी मामलों के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी से हमने उनके अनुभव के आधार पर यह जानने की कोशिश की कि स्थानांतरण कुल कितने प्रकार के होते हैं और उनमें कर्मचारी क्या कदम उठा सकते हैं।
कर्मचारी के ट्रांसफर में क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए
1) शक्तियों का न्यायपूर्ण या उचित प्रयोग।
2) स्थानांतरण द्वेष रहित होना चाहिये।
3) ट्रांसफर प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर होना चाहिये।
4) ट्रांसफर बाहरी निर्देशों से प्रेरित नही होना चाहिये।
5) मिड टर्म ट्रांसफर नही होना चाहिये।
6) दंड के रूप में ट्रांसफर नही होना चाहिये।
7) किसी व्यक्ति को प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से, स्थानांतरण नही होना चाहिये।
8) सक्षम अधिकारी द्वारा ही स्थानांतरण किया जाना चाहिए।
9) संवर्ग के बाहर ट्रांसफर नही होना चाहिये।
10) नियमों के अतिक्रमण में (अधिनियम के रूप में) स्थानांतरण नही होना चाहिये।
11) कालावधि पूर्ण होने के पूर्व ट्रांसफर नही होना चाहिये।
अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने कहा कि, उपरोक्त अपवादों को छोड़कर, स्थानांतरण शासकीय सेवा की एक आवश्यक शर्त है, जो कि नियुक्ति के समय ही, कर्मचारी स्वीकार करता है। प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर, ट्रांसफर करना, शासन का अधिकार है, लेकिन यदि कोई स्थानांतरण दोषपूर्ण है तो उसके विरुद्ध अभ्यावेदन प्रस्तुत करना तत्पश्चात न्यायालय की शरण में जाना कर्मचारी का अधिकार है।