153 CPC- न्यायालय में कार्यवाही के दौरान वाद पत्र में संशोधन का कानून

Section 153-Code of Civil Procedure, 1908

जब किसी व्यक्ति का सिविल मामला कोर्ट में दायर होता है तो कोर्ट में वाद पत्र पेश किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति के वाद-पत्र में कोई गलती हो गई है और कार्यवाही न्यायालय द्वारा शुरू कर दी गई है, तब न्यायालय में वाद पत्र में संशोधन करने के लिए किस कानून के अंतर्गत आवेदन किया जा सकता है, जानिए।

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 153 की परिभाषा

संशोधन करने की न्यायालय की साधारण शक्ति

जब कोई वाद न्यायालय में लंबित है एवं सुनवाई की कार्यवाही डिक्री, आदेश, निर्णय तक भी पहुच गई है लेकिन निर्णय नहीं आया है तब न्यायालय को यह शक्ति प्राप्त है की वह वाद-पत्र में साधारण संशोधन कर सकता है।

यहां ध्यान रहे कि सीपीसी की धारा 152 के अंतर्गत त्रुटिपूर्ण डिक्री,आदेश, निर्णय आदि में संशोधन किया जाता है और सीपीसी की धारा 153 में वाद की किसी भी प्रक्रम कार्यवाही के समय संशोधन किया जा सकता है यह न्यायालय की शक्ति है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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