Amazing facts in Hindi about prabhu Shri Ram and Ramayana
भगवान श्री राम जब रावण से युद्ध का निश्चय करके आगे बढ़े तो उन्हें सबसे पहले कोदियाकरै नामक स्थान पर समुद्र का किनारा मिला। यहां से रावण की लंका कुछ नजदीक भी थी। यहीं पर उन्होंने अपनी वानर सेना का गठन किया परंतु फिर अचानक स्थान परिवर्तन कर दिया। भारत से लंका तक पुल बनाने के लिए कोदियाकरै से 250 किलोमीटर दूर रामेश्वरम नामक स्थान का चुनाव किया गया। सवाल यह है कि जब कोदियाकरै में पूरी तैयारियां हो गई थी तो फिर भगवान राम ने सेतु बनाने के लिए रामेश्वरम का चयन क्यों किया।
कोदियाकरै- भगवान श्री राम की सेना का मुख्यालय
तमिलनाडु राज्य में स्थित है कोदियाकरै (Kodiyakarai) इसे कोडीकरई एवं कोडी करई के नाम से भी पुकारा जाता है। आज भी यह एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है एवं यहां से लंका काफी नजदीक है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम ने इसी स्थान पर अपनी वानर सेना का विधिवत गठन किया था। जिसे श्री राम की सेना के नाम से जाना जाता है। इससे पहले तक सभी अलग-अलग टुकड़ियों में थे और सबकी अपनी अलग पहचान हुआ करती थी। इसी स्थान पर युद्ध की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी लेकिन फिर अचानक प्लान बदल दिया गया।
रामेश्वरम की सबसे खास बात
समय कम था। रावण ने अयोध्या और मिथिला पर हमला करने की तिथि निर्धारित कर दी थी। इससे पहले भगवान श्रीराम को रावण के साथ युद्ध प्रारंभ करना था। इसके बावजूद भगवान श्री राम पूरी सेना को लेकर कोदियाकरै से 250 किलोमीटर दूर रामेश्वरम नामक स्थान पर पहुंचे और यहां से लंका तक के लिए रामसेतु बनाया गया। इसके पीछे एक मात्र कारण यह था कि तमिलनाडु की 1000 किलोमीटर लंबी समुद्र तट रेखा पर केवल रामेश्वरम ही एक ऐसा स्थान है जहां पर समुद्र शांत मिलता है। जबकि कोदियाकरै में समुद्र काफी उग्र है। यानी किसी भी प्रकार का कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता था।
भगवान राम का निर्णय कितना उचित था, यह बताने की आवश्यकता नहीं क्योंकि समुद्र में रामसेतु का अस्तित्व पूरा द्वापर युग बीत जाने के बावजूद, आज भी है।
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